हाईकोर्ट ने कहा, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए स्टिंग की जरूरत
नैनीताल हाईकोर्ट ने राजनेताओं व अधिकारियों को बेनकाब करने के लिए स्टिंग ऑपरेशन को उचित कदम बताया। सरकार के निशाने पर समाचार पल्स सीईओ उमेश कुमार शर्मा, गैंगस्टर एक्ट लगाए जाने की चर्चा जोरों पर।
न्याय शुल्क लगाने तक के लिए स्टॉम्प नहीं मिल रहे हैं।
देहरादून। सीएम व उनके करीबी आईएस का स्टिंग करने के मामले में दो नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए ऐसे स्टिंग की जरूरत है। प्रदेश के भ्रष्ट राजनेताओं व अधिकारियों को बेनकाब करने के लिए यह उचित कदम है।
इसके साथ ही कोर्ट ने मुख्य आरोपी समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश शर्मा के भांजे प्रवीण साहनी व सौरभ साहनी कि गिरफ्तारी पर शुक्रवार को रोक लगा दी। इस प्रकरण में एक अन्य आरोपी पत्रकार राहुल भाटिया की गिरफ्तारी पर भी कोर्ट ने बृहस्पतिवार को रोक लगा दी थी।
जानकारों का मानना है कि उमेश कुमार शर्मा कि गिरफ्तारी के बाद आरोपी राहुल के नैनीताल हाईकोर्ट से राहत पाने पर अन्य अारोपियों ने भी पुलिस कि किलेंबंदी में सेंध लगा दी है। पुलिस को आरोपियों से कई रिकार्डिंग व दस्तावेज बरामद होने की उम्मीद थी ।
बता दें कि चैनल के ही एक पत्रकार आयुष गौड़ ने समाचार प्लस के सीईओ, उनके भांजे प्रवीण साहनी, सौरभ साहनी, चैनल के पत्रकार राहुल भाटिया व डॉ उत्तराखंड सरकार के पूर्व स्थानिक आयुक्त मृत्युंजय मिश्रा कि विरुद्ध विभिन्न धाराओं में राजपुर थाने में 10 अगस्त को एफआईआर करवाई थी।
इस मामले को 79 दिन तक कोई कार्रवाई न करने के बाद हाल ही में शनिवार देर रात उत्तराखंड स्थित उनके आवास से यूपी व उत्तराखंड पुलिस द्वारा ज्वाइंट ऑपरेशन में चैनल के सीईओ को गिरफ्तार किया था। पुलिस इस बीच अन्य आरोपियों की तलाश में जगह-जगह दबिश देने का दावा कर रही थी।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि स्टिंग कराने के मामले में फंसे अन्य आरोपियों को कोर्ट से राहत मिलने के बावजूद उमेश शर्मा को भाजपा लोकसभा चुनाव तक जेल के अंदर ही रखना चाहती है। सरकार के रणनीतिकारों को आशंका है कि उमेश शर्मा बाहर आकर सरकार का दुष्प्रचार कर सकता है।
इसके चलते आरोपी के खिलाफ लगातार एफआईआर दर्ज हो रही है। आरोपी पर गैंगस्टर एक्ट लगाने की चर्चाएं भी जोर पकड़ रही हैं। कानूनी जानकारों का मानना है कि उमेश पर वर्ष 2007 में धोखाधड़ी के मुकदमे के कारण पुलिस के पास गैंगस्टर एक्ट लगाने का बड़ा आधार है। जिससे आरोपी लोकसभा चुनाव के पहले तक जेल से बाहर न आ पाए।
उल्लेखनीय है कि भाजपा का सहारा लेकर तत्कालीन सीएम हरीश रावत की सरकार को अस्थिर करने में आरोपी कि भूमिका जगजाहिर है। इस बीच सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत व आईएएस ओमप्रकाश के खास माने जाने वाले उमेश उनका स्टिंग करने के प्रयास में ही फंस गए।
आलम यह है कि सरकार पुराने मुकदमों को खंगालने में जुट गई है। इतना ही नहीं नई एफआईआर करने में भी कोई गुरेज नहीं की जा रही। हांलाकि इस पर पुलिस प्रशासन का साफ कहना है कि जो भी आरोपी उमेश से प्रताडित लोग है वे सामने आ रहे हैं।