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समाज में स्वच्छता का भाव पैदा करने की जरुरत: मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ सफाई को जन आंदोलन बनाने पर जोर देते हुए कहा कि समाज में स्वच्छता का भाव पैदा करने की जरुरत है

Sep 30, 2016 / 02:39 pm

Rakesh Mishra

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ सफाई को जन आंदोलन बनाने पर जोर देते हुए कहा कि समाज में स्वच्छता का भाव पैदा करने की जरुरत है। मोदी ने यहां भारत स्वच्छता सम्मेलन (इंडोसन) के उद्घाटन सत्र में कहा कि स्वच्छ भारत अभियान समय से पहले समाज में अपनी जड़े जमा रहा है। बालकों में स्वच्छता के प्रति जागरुकता बढ़ रही है और गंदगी फैलाने से अपने परिजनों को भी रोक रहे हैं। उन्होंने कहा कि घर में शौचालय होना सामाजिक स्तर से जुडता जा रहा है जोकि एक अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा कि समाज में स्वच्छता के प्रति भाव पैदा करने की जरुरत है। इसे जनांदोलन के जरिए किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि समाज में ऐसा माहौल बनाया जाना चाहिए जिससे गंदगी के प्रति घृणा पैदा हो और उसके निपटारे में लोग स्वयं ही तत्पर हो जाए। उन्होंने लोगों की आदत में बदलाव पर जोर देेते हुए कहा कि खाली पडी जमीनों का इस्तेमाल कूड़ा- कचरा फेंकने के लिए नहीं बल्कि धन का अर्जन किया जाना चाहिए। भारत स्वच्छता सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर शहरी विकास मंत्री एम.वेंकैया नायडू, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री नरेन्द्र तोमर, शहरी विकास राज्य मंत्री राव इंद्रजीत ङ्क्षसह तथा पेयजल एवं स्वच्छता राज्य मंत्री रमेश चिनप्पा जिगजिनागी भी मौजूद थे। उद्घाटन में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी हिस्सा लिया। बाद में सभी नेताओं ने स्वच्छता घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए।

मोदी ने कहा कि स्वच्छता की बात करना और इसे जनता के बीच ले जाना बहुत हिम्मत का काम है लेकिन आम जनता ने इसे स्वीकार किया है और जागरुकता आ रही है। लोगों ने साफ-सफाई और स्वच्छता के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। उन्होंने सुझाव दिया कि दूरदर्शन पर स्वच्छता संबंधी समाचार होने चाहिए। इससे लोगों में जागरुकता आएगी और इसका महत्व बढ़ेगा। इसके अलावा राज्य स्तर पर स्वच्छता की प्रतिस्पर्धा आयोजित की जानी चाहिए। इससे स्थानीय निकायों, संस्थाओं और व्यक्तियों में प्रतियोगिता का भाव आएगा। उन्होंने कहा कि स्वच्छता से रोजगार उत्पन्न हो सकते हैं। कचरे से धन कमाया जा सकता है। स्थानीय निकायों को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारतीय युवाओं में क्षमता है और उन्हें इस संबंध में नवाचार करना चाहिए। इससे उन्हें रोजगार के अवसर मिलेंगे। इससे पहले मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान में उल्लेखनीय योगदान करने वाली संस्थाओं, व्यक्तियों और स्थलों को पुरस्कृत किया। नायडू ने स्वच्छता अभियान में योगदान करने वाले और प्रेरित होने वाले लोगों का उदाहरण देते हुए कहा कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ में आम लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए स्थानीय प्रशासन को नयी पहल करनी चाहिए। खुले शौच से मुक्ति का अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है। लोगों की भागीदारी बढऩे के साथ-साथ जागरुकता भी बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि गुजरात और आंध्रप्रदेश तथा केरल के शहरी क्षेत्र जल्दी ही खुले में शौच से मुक्त होंगे।

पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री नरेन्द्र तोमर ने कहा कि इस वर्ष दो अक्टूबर तक एक लाख गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया जाएगा। सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री, निर्वाचित प्रतिनिधि, जिलाधीश, 500 नगरों-शहरों के पालिका आयुक्त, निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि और स्वयंसेवी संगठन शामिल हैं। इस अवसर पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। प्रदर्शनी में विभिन्न कार्यों के लिए लगभग 30 तकनीकी उपकरण/मशीनें दिखाई गयी हैं। इनमें जन शौचालय मॉडल, माइक्रोबायोलॉजीकल सफाई प्रणाली का जलरहित पेशाबघर, कम लागत के पोर्टेबल शौचालय ब्लॉक, बायो डाइजेस्टर युक्त जन शौचालय, ऑनसाइट कंपोस्ट बनाने वाले जुड़वा गड्ढा शौचालय, सामुदायिक स्तर पर उपयोग के लिए लघु सीवेज शोधन इकाइयां, सैनिट्री नैपकिन वेंडिंग मशीन, भूमिगत कूड़ादान, बड़े कूड़ादानों से कचरा निकालने के लिए रिक्शा, सीएनजी सफाई मशीन, मेकेनिकल स्वीपर्स, निर्माण के लिए जैविक कचरा कन्वर्टर, खाद्य कचरा कंपोस्टर, घरेलू स्तर पर कंपोस्ट बनाने और साफ-सफाई संबंधी मशीनें शामिल हैं।

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