नई दिल्ली. सुनवाई में देरी होने से देशभर की जेलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या बढ़ रही है। इससे जेल में जगह कम पड़ गई है। 100 कैदी की जगह पर 114 रहने को मजबूर हैं। एनसीआरबी के ताजा आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं।
– 100 कैदी की जगह पर 114 कैदी बंद थे 2015 तक
– 3.66 लाख कैदियों के लिए ही स्पेस था देश की जेलों में 2015 तक
– 4.19 लाख कैदी देशभर की जेल में बंद थे 2015 तक
– 15 राज्यों की जेलों में ऑकपेंसी रेट 100 फीसदी से कम
विचाराधीन कैदी ज्यादा (2014)
-67.2 फीसदी विचाराधीन कैदी बंद थे साल 2014 में
– 2.82 लाख विचाराधीन कैदियों की संख्या रही 2014 में
-1.34 लाख दोषी कैदी साल 2014 में बंद थे इन जेलों में
इन राज्यों में स्थिति खराब
छत्तीसगढ़
-233.9 फीसदी ज्यादा कैदी क्षमता के लिहाज से
दिल्ली
– 226.9 फीसदी कैदी क्षमता से ज्यादा
उत्तर प्रदेश
– 168.8 फीसदी कैदी क्षमता से ज्यादा हैं
अनपढ़ हैं अधिकतर
– दो तिहाई कैदी दलित और ओबीसी वर्ग से
– 19 फीसदी कैदी मुस्लिम
– 28 फीसदी असाक्षर हैं
– 42 फीसदी कैदियों कभी कॉलेज नहीं गए
बिगड़ रही सेहत
– जगह कम पडऩे से कायदे से सोने को नहीं मिलता
– पौष्टिक आहार की कमी
– हवा की कमी की वजह से सांस संबंधी बीमारी की जद में
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