सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या सरकार नागरिकों के सोशल मीडिया संदेशों को टैप कर ‘निगरानी राज’ चाहती है?
बहुत जल्द नए पीठ का होगा गठन
आपको बता दें कि एससी-एसटी एक्ट मामले में बीते 20 मार्च को न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल व न्यायाधीश यूयू ललित की पीठ ने सुनवाई करते हुए इस एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जाहिर की थी और कहा था कि इस एक्ट के तहत प्रताड़ना की शिकायत मिलने पर तत्काल एफआईआर दर्ज नहीं होगी, बल्कि इससे पहले क्षेत्र के डीएसपी शिकायत की जांच करेंगे उसके बाद यह फैसला लिया जाएगा कि आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा या नहीं। अदालत ने कहा है कि ऐसे मामलों में सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी से पहले सक्षम अथॉरिटी और सामान्य व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले एसएसपी की मंजूरी लेनी आवश्यक है। अदालत इसके साथ ही आरोपी के लिए अग्रिम जमानत का भी रास्ता खोल दिया है जबकि पहले यह व्यवस्था नहीं थी। अब इस फैसले के बाद देश भर में एससी-एसटी वर्ग के लोगों ने आन्दोलन किया था जिसके बाद सरकार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए अदालत में पुर्नविचार याचिका दायर कर फिर से विचार करने का आग्रह किया है।
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क्या है सुप्रीम कोर्ट का नियम
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह नियम है कि पुनर्विचार याचिका पर वही पीठ सुनवाई करती है जिसने मुख्य फैसला सुनाया होता है लेकिन इस मामले में यह नही हो सकता है। क्योंकि इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस गोयल और ललित की पीठ में से जस्टिस गोयल बीते 6 जुलाई को रिटायर हो गए हैं। अब इस पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए नए सिरे से पीठ का गठन करना पड़ेगा। बता दें कि इससे पहले इस पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने केंन्द्र सरकार की मांग ठुकरा दी थी।