एनजीटी ने कहा है कि सरकार ने गंगा सफाई पर 7,000 करोड़ रुपये ख़र्च कर दिया है, लेकिन गंगा अभी भी पर्यावरण के लिए एक गंभीर विषय बना हुआ है। केंद्र सरकार गंगा सफाई के लिए फंड तो जारी कर चुकी है, लेकिन सफाई अभियान के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार को गंगा नदी की सफाई को लेकर सुनवाई करते हुए कहा कि अधिकारियों के दावों के बावजूद गंगा के पुनर्जीवन के लिए जमीनी स्तर पर किए गए काम पर्याप्त नहीं हैं और स्थिति में सुधार के लिए नियमित निगरानी की जरूरत है। एनजीटी ने अंसतोष जाहिर करते हुए कहा कि हालात असाधारण रूप से खराब हैं। नदी की सफाई के लिए शायद ही कोई प्रभावी कदम उठाया गया है।
जस्टिस जवाद रहीम और आरएस राठौड़ की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, ‘यह देश की सबसे प्रतिष्ठित नदी है जिसका सम्मान 100 करोड़ लोग करते हैं, लेकिन हम इसका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं। व्यवस्था को ज्यादा से ज्यादा ठोस और प्रभावी बनाने की जरूरत है।’ गंगा सफाई को लेकर पहले भी एनजीटी की तरफ से सरकार को फटकार लगाई जाती रही है। इससे पहले एनजीटी ने गोमुख और उन्नाव के बीच गंगा नदी की सफाई के लिए केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर निपटारा रिपोर्ट दाखिल नहीं करने को लेकर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की खिंचाई की थी।