निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों में तीन दोषियों को पास कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है। लेकिन चौथे दोषी पवन गुप्ता के पास अभी कानूनी विकल्प बाकी हैं। लिहाजा पवन का पहला कदम क्यूरेटिव पिटिशन का हो सकता है। क्यूरेटिव पिटिशन दायर करते ही पवन गुप्ता की फांसी पर रोक लग जाएगी।
पटियाला हाउस कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान पवन के वकील रवि काजी ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि क्यूरेटिव या दया याचिका कब दायर की जाएगी। ऐसे में कोर्ट की ओर से मिले 14 दिन की मोहलत के दौरान आखिरी दिनों में अर्जी दायर की जा सकती है।
पवन की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद उसके पास राष्ट्रपति को दया याचिका भेजने का विकल्प भी मौजूद है। यानी पहली याचिका खारिज हुई तो दूसरी याचिका के जरिये पवन एक बार फिर अपनी फांसी को रुकवा सकता है।
पवन की दया याचिका राष्ट्रपति की ओर से खारिज हो जाती है तो पवन गुप्ता सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दे सकता है। इस तीसरे विकल्प से भी फांसी रुक सकती है।
इससे पहले डेथ वारंट के तहत दोषियों को 22 जनवरी और दूसरे के तहत 1 फरवरी को फांसी होनी थी।
जेल नियमों पर गौर करें तो एक अपराध में एक साथ दोषी ठहराए जाने वालों को एक साथ ही फांसी देने का प्रावधान है। इसके साथ ही जब भी दोषियों को फांसी पर लटकाने की तिथि तय की जाती है तो अदालत की ओर से उन्हें कानूनी विकल्पों के उपयोग के लिए 14 दिन का समय दिया जाता है।
एक तरफ पवन अपने कानूनी विकल्पों के जरिये फांसी से बचने की कोशिश करेगा तो दूसरी तरफ तिहाड़ जेल से ही एक दोषी विनय शर्मा ने भी बड़ी चाल चली है। विनय 11 फरवरी से भूख हड़ताल पर बैठा हुआ है। ऐसे में फांसी के वक्त अगर उसका वजन कम होता है या फिर उसकी तबीयत खराब रहती है तो ये फांसी तब भी रुक सकती है।
ऐसे विनय के जरिये भी दोषियों को फांसी होने में देरी हो सकती है। वहीं आपको बता दें कि अक्षय के वकील ने भी कहा है कि वो एक बार फिर राष्ट्रपति को दया याचिका विचार के लिए भेजेंगे। ऐसे में इस कदम के बाद भी फांसी को टाला जा सकता है।