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ये है चार पूर्व जजों का खुला पत्र डियर मुख्य न्यायधीश,सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जज सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न बेंचों को केसों, विशेषत: संवेदनशील केसों, के आवंटन के तरीकों पर गंभीर मुद्दा सामने लेकर आए हैं। उनके अनुसार, केस सही तरीके से आवंटित नहीं किए जा रहे हैं और मनमाने तरीके से उन्हें खास बेंचों को दिया जा रहा है। कई बार ये जूनियर जजों की अगुवाई वाली बेंचों को दिए जाते हैं। इसका न्याय के प्रशासन और कानून के राज पर गहरा असर पड़ रहा है। उन चार जजों से हम सहमत हैं कि चीफ जस्टिस का ही अधिकार है कि वह रोस्टर तय करे और काम के आवंटन के लिए वह बेंच तय कर सकते हैं। इसका यह अर्थ नहीं कि कि यह मनमाने तरीके से किया जाए। जैसे संवेदनशील और अहम केसों को चीफ जस्टिस जूनियर जजों की चुनिंदा बेंचों को सौंप दें। इस मुद्दे का निस्तारण आवश्यक है। बेंचों के निर्धारण और केसों को सौंपे जाने के लिए ऐसे नियम बनाए जाने चाहिए, जो तर्कसंगत, निष्पक्ष और पारदर्शी हों। अदालत में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए ऐसा तुरंत किया जाना चाहिए। ऐसा होने तक ये जरूरी है कि सभी अहम व संवेदनशील के साथ लंबित मामले भी शामिल हैं, उसे कोर्ट की पांच वरिष्ठतम जजों वाली संवैधानिक पीठ देखे। इस तरह के उपायों से ही अदालत पर लोगों का विश्वास बन सकता है कि सुप्रीम कोर्ट निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम कर रहा है। रोस्टरकर्ता के रूप में चीफ जस्टिस की शक्तियों का अहम और संवेदनशील मामलों में विशेष परिणाम के लिए दुरुपयोग नहीं हो रहा है। इसलिए हम आपसे अनुरोध करते हैं कि इस संदर्भ में तुरंत कदम उठाएं।
जस्टिस एपी शाह, पूर्व चीफ जस्टिस, दिल्ली हाई कोर्ट
जस्टिस के चंद्रू, पूर्व जज, मद्रास हाई कोर्ट
जस्टिस एच सुरेश, पूर्व जज, बॉम्बे हाई कोर्ट