जबकि सुनवाई के दौरान बुधवार को दिल्ली सरकार ने अपना एक्शन प्लान दइेते हुए कहा कि एनजीटी के निर्देशों के अनुसार दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए ट्रकों की एंट्री या आॅड ईवन प्लान लागू किया जाएगा। यानी इस बार अगर आॅड ईवर प्लान लागू होता है तो इसे सख्ती से लागू किया जाएगा। इसमें पहले की तरह दोपहिया वाहनों या फिर महिलाओं को किसी तरह की कोई छूट नहीं मिलेगी।
बता दें, पिछले महीने दिल्ली और एनसीआर प्रदूषण से जूझती रही। लोगों का सांस लेना दूबर हो गया। प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार और प्रशासन दोनों ही कुछ ठोस न कर पाए। यहां तक कि दिल्ली सरकार को कोर्ट की फटकार तक सुननी पड़ी। जबकि दिल्ली सरकार ने इसका ठीकरा पड़ोसी राज्यों पर फोड़ दिया। कहा कि इस सीजर में पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब में पराली जलाई जाती है। उसी की वजह से दिल्ली वासियों को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ा है। हर साल इसी तरह हो रहा है। इस पर कोर्ट ने पफटकार लगाते हुए कहा था कि अगर पहले से ही पता था कि ऐसा होता है, तो समय रहते कोई ठोस उपाय क्यों नहीं किए गए। आॅड ईवर प्लान लागू करने के लिए किसी अनुमति का इंतजार क्यों किया जाता रहा।
गौर हो, सुप्रीम कोर्ट में पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट में पराली जलाने से रोकने के लिए हरीश साल्वे ने रिपोर्ट दी थी। साल्वे ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सरकार किसानों को सब्सिडी के बजाए मुफ्त में उपकरण मुहैया कराए। ताकि किसान पराली को जलाने के बजाय इसका खाद या अन्य तरह से उपयोग कर सकें।