इस बातचीत के लिए चयनित लाभार्थी एंटी-अल्कोहल आंदोलन, बिहार में मूल्य श्रृंखला और मार्केटिंग, छत्तीसगढ़ से ईंट बनाने वाले, व्यापार संवाददाता सखी आदि समूह शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की दलील, अपराध की श्रेणी में रखे जाएं एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स महिला स्वयं सहायता समूहों से पीएम का संवाद पीएम ने संवाद के दौरान कहा कि आप कोई भी क्षेत्र लेते हैं, आप बड़ी संख्या में काम करने वाली महिलाओं को देखेंगे। महिलाओं के योगदान के बिना देश के कृषि क्षेत्र और डेयरी सेक्टर की कल्पना नहीं की जा सकती। इससे पहले ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, दीनदयाल अंत्योदय योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से सरकार ग्रामीण गरीबी को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है और स्वयं सहायता समूह इसमें बड़े पैमाने पर योगदान दे रहे हैं। बता दें कि देश में 45 लाख स्व-सहायता समूह हैं और इस मिशन से जुड़ी पांच करोड़ से अधिक महिलाएं हैं।
क्या कहा पीएम ने महिला स्वयं सहायता समूहों से बातचीत करते हुए पीएम ने कहा कि जब हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता होती है, महिलाओं को अपनी शक्तियों को और अपने हुनर को पहचानने के अवसर उपलब्ध कराना। पीएम ने कहा कि आज आप कोई भी क्षेत्र लेते हैं, आप बड़ी संख्या में काम करने वाली महिलाओं को देखेंगे। महिलाओं के योगदान के बिना देश के कृषि क्षेत्र और डेयरी सेक्टर की कल्पना नहीं की जा सकती। पीएम ने कहा कि दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत सरकार का लक्ष्य देश भर में लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों में लोगों को स्थिर नौकरी के अवसर प्रदान करना है। पीएम ने देश भर के किसानों की तारीफ करते हुए कहा कि छोटे-छोटे श्रमिकों ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूह के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पीएम ने कहा कि यदि अवसर प्रदान किया जाता है तो महिला चमत्कार कर सकती हैं।
बिप्लब देब: लोकतंत्र चाहिए तो कम्युनिस्टों की विरासत को भूलना होगा नजीर बन चुकीं हैं यें महिलाएं प्रधान मंत्री मोदी ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि ‘आपने सभी ने समाज के लिए आत्मनिर्भर होने का एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। पीएम ने कहा कि देश के कई प्रदेशों में महिलाएं अपने विकास के लिए आगे आईं हैं। पीएम ने बताया कि छत्तीसगढ़ के 22 जिलों में, 122 ‘बिहान बाज़ार’ आउटलेट स्थापित किए गए हैं। स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों की 200 से अधिक किस्मों को इन दुकानों में बेचा जा रहा है। ऐसे ही उदाहरण मध्यप्रदेश, बिहार और गुजरात से भी हैं जहां महिलाओं ने अपने आर्थिक और सामाजिक प्रगति का ताना बाना खुद बुना है और अपने साथ-साथ दूसरी महिलाओं के लिए भी नजीर बनी हैं।