प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि जहां धान और गन्ना जैसी बहुत सारी फसलें ऐसी हैं, जिनके लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है और पाया गया है कि जहां इन फसलों की खेती ज्यादा होती है, वहां भूजल स्तर तेजी से घटता जाता है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को बदलने के लिए हमें किसानों को वर्षाजल संचयन और वैकल्पिक फसलों का चयन करने के लिए जागरूक करना होगा और इस आंदोलन का नेतृत्व किसानों के हाथ में सौंपना होगा।
हरियाणा सरकार के कार्यों की सराहना करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मैं हरियाणा सरकार को बधाई देता हूं। मनोहरलाल जी खट्टर ने विशेष प्रोत्साहन देकर किसानों को कम पानी वाली फसल की ओर ले जाने का बड़ा सफल प्रयोग किया है। यह हरियाणा को बचाने का एक बड़ा अभियान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा ही पूरे देश में करना होगा। उन्होंने कहा कि इसके बिना हम स्थिति को बदल नहीं पाएंगे। मोदी ने किसानों को ड्रिप इरिगेशन के लाभ के बारे में बताते हुए पानी की बचत करने की नसीहत दी। उन्होंने गुजरात के अपने वाकये का जिक्र करते हुए कहा कि मैं गुजरात में था। मैंने शुगर फैक्टरियों पर दबाव डाला कि वहां के किसानों को समझाइए कि वे स्प्रिंकलर या ड्रिप इरिगेशन से चातेही करें, लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं थे। फिर हमने अनिवार्य कर दिया कि उसी किसान का गन्ना लिया जाएगा, जिसने स्प्रिंकलर या ड्रिप इरिगेशन से गन्ने की खेती की हो।
प्रधानमंत्री ने बताया कि इसके लिए किसानों को गुजरात सरकार और चीनी मिलों की ओर से प्रोत्साहन दिया गया, जिससे किसानों ने इस पद्धति से खेती की, जिसका परिणाम यह हुआ कि गन्ने की फसल अच्छी हुई। उन्होंने कहा कि पर ड्रॉप मोर क्रॉप यानी प्रति बूंद ज्यादा फसल के संकल्प को हमें खेत में हर किसान तक पहुंचाना होगा।