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बर्थडे स्पेशल: अगले 2 साल में नरेंद्र मोदी के सामने होंगी ये 5 चुनौतियां

अगले 2 सालों में कई राज्यों में होने हैं विधानसभा चुनाव, जहां 3 साल के कार्यकाल को जनता के बीच रखकर ही सत्ता पर काबिज होना चाहेगी।

Sep 17, 2017 / 03:02 pm

Rahul Chauhan

narendra modi

Pm Narendra Modi

नई दिल्ली: प्रधानमंत्रनरेंद्र मोदी आज अपना 67वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर पीएम मोदी ने गुजरातवासियों को एक ऐतिहासिक सौगात दी है। पीएम मोदी ने 56 साल से लटके सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन कर गुजरात के किसानों को नया जीवनदान दिया है। वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस तोहफे को विपक्षी आने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 67वें जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनकी सरकार के लिए आने वाले 2 साल की चुनौतियों के बारे में बता रहे हैं।
पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार को 3 साल पूरे हो चुके हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक बहुमत लेकर बीजेपी ने लोकसभा चुनाव जीता था। 5 साल के कार्यकाल में से 3 साल सरकार के पूरे हो चुके हैं और इन 3 सालों में सरकार के समक्ष काफी चुनौतियां रही, लेकिन पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व के साथ सरकार ने न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी भारत का डंका बजाया है। इन सबसे अलग बचे हुए 2 साल के लिए मोदी सरकार के सामने आनी वाली चुनितयां और ज्यादा हैं, क्योंकी बीजेपी आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में 5 साल के काम को ही लोगों के समक्ष रख कर फिर से सत्ता में वापसी की कोशिश करेगी।
इसलिए आने वाले 2 साल मोदी सरकार के लिए कैसे चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं आइए जानते हैं-

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कई अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव
2 साल की चुनौतियों की जब हम बात कर रहे हैं तो सबसे पहले इसमें बात होगी कई राज्यों में आने वाले विधानसभा चुनावों की, क्योंकि 2014 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने यूपी, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे बड़े राज्यों में अपनी सरकार बनाई है। इन राज्यों के विधानसभा चुनाव मोदी सरकार के लिए उनकी लोकप्रियता की परीक्षा के तौर पर थे। ऐसे में अगले 2 साल में होने वाले राज्यों के चुनाव मोदी सरकार के लिए पहली चुनौति होंगे। इनमें से गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे अहम राज्यों में सरकार के लिए चुनौति ज्यादा होगी, क्योंकी इन सभी राज्यों में बीजेपी की सरकार है और यहां पर सत्ता बचाने की चुनौति मोदी सरकार के लिए होगी।
2019 के लिए सत्ता विरोधी रुख से बचना
मोदी सरकार के लिए अगले 2 साल की चुनौतियों की बात करें और लोकसभा चुनाव का जिक्र न हो, ऐसा नहीं हो सकता। बीजेपी को 2014 के चुनाव में मोदी के चेहरे और विकास के एजेंडे पर प्रचंड बहुमत मिला था। चुनाव से पहले बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने विकास के एजेंडे को लेकर कई सारे वादे किए थे, जिनमें से कई वादों को वो जमीना स्तर पर पूरा कर चुके हैं, लेकिन कई योजनाएं और कई वादें अभी भी ऐसे हैं जो अधर में लटके हुए हैं।
2014 के चुनाव के लिए पीएम मोदी ने सबसे बड़ा वादा जो किया था, वो ये था कि कालाधन देश में वापस लाएंगे। कालाधन अभी तक देश में वापस नहीं आया है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सरकार ने कालेधन को लेकर कोई प्रयास नहीं किए हैं। साथ ही अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े कदम मोदी सरकार ने उठाए हैं। हालांकि इनके बावजूद भी चुनौति 2019 से पहले कालेधन को देश में लाने की बनी हुई है।
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सरकार के ‘नाकारा’ मंत्री और सांसद बनेंगे सिरदर्द
बात मोदी मंत्रीमंडल की हो या फिर मोदी के अन्य मंत्रियों की तो कई नाम ऐेसे हैं जो कि अगले 2 साल के लिए मोदी सरकार के लिए चुनौतिपूर्ण साबित हो सकते हैं। एक तरफ सुषमा स्वराज, प्रकाश जावड़ेकर और पीयूष गोयल जैसे मंत्रियों ने अपने कामकाज के दम पर कैबिनेट में अपना कद बढ़ाया है तो वहीं कई मंत्रियों और सांसदों ने अपने बयानों और काम के तरीकों से सरकार की मुश्किलें बढ़ाई हैं। जाहिर है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में ये मंत्री और सांसद मोदी के लिए चुनौती साबित होंगे।
2024 का एजेंडा सेट करना
2014 के चुनाव में बीजेपी ने 2019 के चुनाव के लिए ‘विकास’ का एजेंडा सेट कर लिया था। इसी तरह 2019 के चुनाव के लिए मोदी सरकार के सामने ये चुनौति होगी कि 2024 के लिए अब क्या एजेंडा तय किया जाए। सरकार के समक्ष ये चुनौति होगी कि किस आने वाले 5 सालों में जनता की अकांक्षाओं को पूरा किया जा सके।
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महागठबंधन से पार पाना नहीं होगा आसान
हम अगले 2 साल में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार के सामने आने वाली चुनौतियों की बात कर रहे हैं तो यहां विपक्ष की एकता की भी बात करनी होगी। अगले 2 साल में चुनाव लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का, हर जगह मोदी सरकार के लिए ‘विपक्ष की एकता’ से पार पाना आसान नहीं होगा, क्योंकी 2019 के चुनाव से पहले विपक्ष की तरफ से ये संकेत साफ हैं कि बीजेपी को रोकने के लिए सभी विपक्षी दल एकसाथ आने को तैयार हैं। अगर अगले 2 साल में महागठबंधन होता है तो ये मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगा।

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