2 साल की चुनौतियों की जब हम बात कर रहे हैं तो सबसे पहले इसमें बात होगी कई राज्यों में आने वाले विधानसभा चुनावों की, क्योंकि 2014 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने यूपी, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे बड़े राज्यों में अपनी सरकार बनाई है। इन राज्यों के विधानसभा चुनाव मोदी सरकार के लिए उनकी लोकप्रियता की परीक्षा के तौर पर थे। ऐसे में अगले 2 साल में होने वाले राज्यों के चुनाव मोदी सरकार के लिए पहली चुनौति होंगे। इनमें से गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे अहम राज्यों में सरकार के लिए चुनौति ज्यादा होगी, क्योंकी इन सभी राज्यों में बीजेपी की सरकार है और यहां पर सत्ता बचाने की चुनौति मोदी सरकार के लिए होगी।
मोदी सरकार के लिए अगले 2 साल की चुनौतियों की बात करें और लोकसभा चुनाव का जिक्र न हो, ऐसा नहीं हो सकता। बीजेपी को 2014 के चुनाव में मोदी के चेहरे और विकास के एजेंडे पर प्रचंड बहुमत मिला था। चुनाव से पहले बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने विकास के एजेंडे को लेकर कई सारे वादे किए थे, जिनमें से कई वादों को वो जमीना स्तर पर पूरा कर चुके हैं, लेकिन कई योजनाएं और कई वादें अभी भी ऐसे हैं जो अधर में लटके हुए हैं।
बात मोदी मंत्रीमंडल की हो या फिर मोदी के अन्य मंत्रियों की तो कई नाम ऐेसे हैं जो कि अगले 2 साल के लिए मोदी सरकार के लिए चुनौतिपूर्ण साबित हो सकते हैं। एक तरफ सुषमा स्वराज, प्रकाश जावड़ेकर और पीयूष गोयल जैसे मंत्रियों ने अपने कामकाज के दम पर कैबिनेट में अपना कद बढ़ाया है तो वहीं कई मंत्रियों और सांसदों ने अपने बयानों और काम के तरीकों से सरकार की मुश्किलें बढ़ाई हैं। जाहिर है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में ये मंत्री और सांसद मोदी के लिए चुनौती साबित होंगे।
2014 के चुनाव में बीजेपी ने 2019 के चुनाव के लिए ‘विकास’ का एजेंडा सेट कर लिया था। इसी तरह 2019 के चुनाव के लिए मोदी सरकार के सामने ये चुनौति होगी कि 2024 के लिए अब क्या एजेंडा तय किया जाए। सरकार के समक्ष ये चुनौति होगी कि किस आने वाले 5 सालों में जनता की अकांक्षाओं को पूरा किया जा सके।
हम अगले 2 साल में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार के सामने आने वाली चुनौतियों की बात कर रहे हैं तो यहां विपक्ष की एकता की भी बात करनी होगी। अगले 2 साल में चुनाव लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का, हर जगह मोदी सरकार के लिए ‘विपक्ष की एकता’ से पार पाना आसान नहीं होगा, क्योंकी 2019 के चुनाव से पहले विपक्ष की तरफ से ये संकेत साफ हैं कि बीजेपी को रोकने के लिए सभी विपक्षी दल एकसाथ आने को तैयार हैं। अगर अगले 2 साल में महागठबंधन होता है तो ये मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगा।