आधी रात को पुलिस ने छापेमारी कर उठा लिया 90 छात्रों को मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैंपस में बीती रात छात्रों और पुलिस के बीच संघर्ष भी देखने को मिला। इस दौरान पुलिस ने छात्रों पर कार्रवाई करते हुए आंसू गैस के गोले भी छोड़े। हिरासत में लिए गए छात्रों और शिक्षकों को बारे में पुलिस की तरफ से अभी तक किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई है, ना ही पुलिस की तरफ से ये बताया गया है कि उन सभी को रखा कहां गया है।
कैंपस में भारी संख्या में पुलिस बल है तैनात कल रात की इस कार्रवाई के बाद अभी भी यूनिवर्सिटी कैंपस में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है और किसी भी बाहरी को अंदर जाने की अनुमित नहीं दी जा रही है। इसके अलावा पुलिस के बड़े अधिकारी मीडिया से भी बचते हुए नजर आ रहे हैं। कोई भी पुलिस का बड़ा अधिकारी मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दे रहा है। एहतियात के तौर पर प्रशासन ने विरोध-प्रदर्शन की स्थिति से बचने के लिए इंटरनेट सेवा पर भी रोक लगा दी है।
छात्रों को क्यों उठाकर ले गई पुलिस आपको बता दें कि पिछले तीन महीनों से मणिपुर यूनिवर्सिटी में छात्रों का प्रदर्शन हो रहा है। छात्र ये प्रदर्शन कुलपति को हटाने के लिए कर रहे हैं। मणिपुर यूनिवर्सिटी के वीसी आद्या प्रसाद पांडेय के खिलाफ़ विश्वविद्यालय के छात्रों का ये प्रदर्शन चल रहा है। बाद में यूनिवर्सिटी के शिक्षकों ने भी इस प्रदर्शन को अपना समर्थन दे दिया। इसे लेकर मानव संसाधन मंत्रालय ने 17 जून को एक जांच समिति बनाई और जांच पूरी होने तक के लिए पांडेय को निलंबित कर दिया गया।
क्या हैं वाइस चांसलर पर आरोप ? मणिपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति पर छात्रों और शिक्षकों का ये आरोप है कि उन्होंने अपने पद का ग़लत इस्तेमाल करते हुए कई वित्तीय धांधलियां की हैं। साथ ही प्रशासन को भी नुकसान पहुंचाया है। छात्रों का दावा है कि पांडेय ने अपने पद का फ़ायदा उठाने में तो कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने में वो हमेशा पीछे रहे। छात्रों की शिकायत है कि ज़्यादातर वक़्त पांडेय बाहर ही रहे और उनकी इस लापरवाही का ख़ामियाज़ा विश्वविद्यालय को उठाना पड़ा।
प्रोफ़ेसर पांडेय ने अक्टूबर 2016 में मणिपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति का कार्यभार संभाला था। इससे पूर्व वो बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर रह चुके हैं।