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MP Political Crisis: आज फ्लोर टेस्ट नहीं होगा, कल सबुह सुप्रीम कोर्ट में 10.30 बजे होगी सुनवाई

BJP ने कमलनाथ सरकार पर विश्वासमत खोने का आरोप लगाया
याची ने अदालत से कमलनाथ सरकार को विश्वासमत हासिल करने के लिए निर्देश देने की मांग की
कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद से अल्पमत में है कांग्रेस सरकार

नई दिल्लीMar 17, 2020 / 03:30 pm

Dhirendra

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सुप्रीम कोर्ट में एमपी सियासी संकट पर आज सुनवाई होगी।

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट पर आज फ्लोर टेस्ट नहीं होगा। इस मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में सुनवाई हुई। अब फ्लोर टेस्ट ( Floor Test ) के मुद़दे पर सुप्रीम कोर्ट में कल सबुह 10.30 बजे सुनवाई होगी। शीर्ष अदालत ने एमपी विधानसभा अध्यक्ष, बागी विधायक सीएम कमलनाथ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले में अनिवार्यता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर और सीएम को ईमेल और व्हाट्सअप से मैसेज देने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में आज बीजेपी ( BJP ) नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ( Ex CM Shivraj Singh Chauhan ) की ओर से दायर याचिका ( Writ ) पर सुनवाई हुई। शिवराज सिंह ने मध्य प्रदेश ( Madhya Pradesh ) की कमलनाथ सरकार ( Kamalnath Government ) को विधानसभा ( Legislative Assembly ) में विश्वास मत हासिल करने का निर्देश देने की मांग की थी। उनकी याचिका को शीर्ष अदालत ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य विधानसभा के अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और विधानसभा के प्रधान सचिव को इस न्यायालय के आदेश के 12 घंटे के भीतर विधानसभा में शक्ति परीक्षण ( Floor Test ) कराने का निर्देश दिया जाए। अधिवक्ता सौरभ मिश्रा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार सदन का विश्वास खो चुकी है।
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इन 22 विधायकों में से छह के इस्तीफे अध्यक्ष पहले ही स्वीकार कर चुके हैं और मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार अल्पमत में आ गई है। ऐसी स्थिति में कमलनाथ सरकार को एक दिन भी सत्ता में रहने का कोई कानूनी, नैतिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री अपनी अल्पमत सरकार ( Minority Government ) को बहुमत में तब्दील करने के लिए विधायकों को धमकी देने और प्रलोभन देने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं। खरीद-फरोख्त के प्रयास चरम पर हैं। याचिका में कहा गया है कि शक्ति परीक्षण स्थगित करने से खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही यह राज्यपाल के निर्देशों और शीर्ष अदालत द्वारा प्रतिपादित व्यवस्था का उल्लंघन होगा।
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मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान सहित गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा और बीजेपी के नौ विधायक इस मामले में चार याचिकाकर्ता हैं। इस याचिका में राज्य विधानसभा के अध्यक्ष और कमलनाथ को पक्षकार बनाया गया है। अध्यक्ष द्वारा छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किए जाने के बाद 222 सदस्यीय विधान सभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 108 रह गई है। इनमें वे 16 बागी विधायक भी शामिल हैं, जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है लेकिन उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है।

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