प्रणब ‘दा’ ने ही हटाया था राष्ट्रपति के आगे से महामहिम
प्रणब दा ने अपने कार्यकाल में ऐसे कई फैसलें लिए जो इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो चुका है। इन्हीं में से एक निर्णय था राष्ट्रपति के लिए महामहिम और हिज़ एक्सीलेंसी जैसे संबोधन को प्रोटोकॉल से हटाना।
नई दिल्ली। देश के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नाम के आगे 25 जुलाई से पूर्व राष्ट्रपति जुड़ जाएगा। खुद कांग्रेस के दिग्गज नेता होने के बीजेपी सरकार से उन्होंने गजब की तालमेल दिखाई। प्रणब दा ने अपने कार्यकाल में ऐसे कई फैसलें लिए जो इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो चुका है। इन्हीं में से एक निर्णय था राष्ट्रपति के लिए महामहिम और हिज़ एक्सीलेंसी जैसे संबोधन को प्रोटोकॉल से हटाना।
ब्रिटिश हुकुमत के दौर में इंग्लैड की महारानी के प्रतिनिध जो भारत में वायसरॉय और गवर्नर जनरल के रुप में शासन किया करते थे, उन्हें हिज़ एक्सीलेंसी और महामहिम जैसे शब्दों से संबोधित किया जाता था। आजादी के बाद भी भारत में औपनिवेशिक काल के शब्दों से राष्ट्रपति और राज्यपाल को संबोधित किया जाता था। राष्ट्रपति बनने के बाद प्रणब मुखर्जी ने इन शब्दों पर रोक लगा दी।
लोकतंत्र में जनता की आवाज सर्वोच्च
इस फैसले पर प्रणब दा का मानना था कि यह शब्द सामंतशाही ब्रिटिशकाल की ऐसी विरासत है, जिसे भारतीय गणतंत्र के राष्ट्रपति के लिए प्रयोग उचित नहीं है। लोकतंत्र में जनता की आवाज को सर्वोच्च तवज्जो मिलनी चाहिए।
शिक्षक से राष्ट्रपति बनने का सफर
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर, 1935 को पश्चिम बंगाल के बीरभूमी जिले में हुआ था। शुरुआती शिक्षा बीरभूमी में लेने के बाद उन्होंने राजनीति शास्त्र और इतिहास से एम किया और कोलकाता विश्वविद्यालय से एलएलबी की शिक्षा पूरी की। प्रणब दा ने स्कूली शिक्षक के रुप में अपने करियर की शुरुआत की और आज देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं।