scriptमिलावट के खेल पर प्रशासन का नहीं है कोई अंकुश | the game of Adulteration is not control in administration | Patrika News
झुंझुनू

मिलावट के खेल पर प्रशासन का नहीं है कोई अंकुश

उस हिसाब से देखा जाए तो यह बात सामने आना लाजमी है कि व्यक्ति सुबह की चाय से लेकर शाम के दूध तक सुरक्षित नहीं है।

झुंझुनूOct 24, 2016 / 03:55 pm

vishwanath saini

सबसे बड़े त्योहारी मौसम में बाजार में कौन सी खाद्य सामग्री सुरक्षित है और कौन सही नहीं, इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ज्यादा सतर्क नहीं है। जिस तरह पिछले साल कलक्टर के आदेश पर मावे पर रोक लगी और जिस तरह सैंपल भरे गए।
उस हिसाब से देखा जाए तो यह बात सामने आना लाजमी है कि व्यक्ति सुबह की चाय से लेकर शाम के दूध तक सुरक्षित नहीं है। बाजार मे मिलावटी उत्पादों की भरमार हैं।
बड़ी-बड़ी कंपनियों के नाम से बाजार में नकली खाद्य सामग्री बेची जा रही हैं, लेकिन नियमों की शिथिलता और अधिकारियों की सह ने मिलावट को बड़ा ?ोल बनाकर जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलावड़ किया जा रहा है।
पिछले कुछ सालों की बात की जाए तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा रसद विभाग की ओर से लिए गए नमूनों में इन सामग्रियों में मिलावट पाई गई। फेल नमूनों की बात की जाए तो नकम, हल्दी पाउडर, धनिया, भुजिया, मावा, चाय, दूध, मिर्च पाउडर, आइसक्रीम, आइसकैंडी, तेल समेत अन्य उत्पाद शामिल हैं, ऐसे में मिठाइयों के बारे में तो कुछ कहा ही नहीं जा सकता, यहां तक की बाजार में सब्जी व फल भी सुरक्षित नहीं हैं। इनमें केमिकल का उपयोग हो रहा है।
जानकार बताते हैं कि अभियान के दौरान भरे गए सैंपलों की जांच रिपोर्ट 75 दिन में मिलती है। इसके अलावा रिपोर्ट को आने में 15 दिन आते हैं, क्योंकि रिपोर्ट के लिए जिला मु?यालय पर कोई संसाधन नहीं हैं। ऐसे में मिठाई समेत अन्य मिलावटी सामान त्योंहारी सीजन पर बिक जाता है। जांच के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की सं?या बहुत कम है। ऐसे में किसी योग्य प्रशासनिक अधिकारी से जांच करवाई जाए तो हकीकत सामने आ सकती है। हर उपखंडों में जांच के दौरान कलक्टर के प्रतिनिधि के तौर पर वहां के उपखंड अधिकारी या अन्य सक्षम अधिकारी को टीम में शामिल किया जाना चाहिए।

दो फूड इंस्पेक्टरों के पद, एक खाली

अंचल के बड़े शहरों और कस्बों में हजारों की सं?या में प्रतिष्ठान हैं। लेकिन इनकी निगरानी और मिलावट की जांच के लिए विभाग के पास महज दो फूड इंस्पेक्टरों के पद हैं और इनमें भी एक पद करीब एक साल से खाली चल रहा है। एक का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। ऐसे में बाहर की टीम आकर सैंपल भरती है।
34 सैंपल भरे, उनमें दस फेल

विभाग के अनुसार एक साल के दौरान 34 सैंपल भरे गए। जांच के बाद इनमें दस सैंपल फेल पाए गए। कइयों की तो रिपोर्ट ही नहीं आती है।
दूध व दूध से निर्मित सामग्री का मानक

-मावा में 30 प्रतिशत वसा (फैट)
-पनीर में 50 प्रतिशत वसा
-भैंस के दूध में पांच प्रतिशत वसा
-गाय के दूध में 3.5 प्रतिशत वसा
-मिक्स दूध में 4.5 प्रतिशत वसा
इनका कहना है..

&अपने यहां पर इंस्पैक्टरों के दो पद हैं। इनमें एक पद खाली चल रहा है। एक इस्पेक्टर हैं जिनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, फिर भी वे सैंपल लेने का काम करते हैं। शनिवार को जयपुर से टीम ने शहर में जांच की है। सैंपलों की रिपोर्ट प्रतिदिन भेजी जाती है, लेकिन रिपोर्ट आने में समय लगता है।
डॉ. एसएन धौलपुरिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (झुंझुनूं)

Home / Jhunjhunu / मिलावट के खेल पर प्रशासन का नहीं है कोई अंकुश

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो