काफिले को कड़ी सुरक्षा के बीच से ले जाया जाता था
दरअसल, 2002-03 से पहले जवानों के काफिले को कड़ी सुरक्षा के बीच से ले जाया जाता था। इसके बाद 2002-2005 के बीच राज्य की मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार ने इन नियमों में ढिलाई कर दी। हालांकि उस समय पहले नियम के चलते आम लोगों को उससे असुविधा का हवाला दिया गया था। आपको बता दें कि पहले सुरक्षाबलों के काफिले को जिस समय राजमार्ग से निकाला जाता था, उस समय आम लोगों के लिए यातायात को रोक दिया जाता था। इस दौरान एक पायलट वाहन आम लोगों के ट्रैफिक को हाइवे से दूर रखने का काम करता था। इससे लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता था और सुरक्षाबलों के प्रति लोगों में गुस्से की भावना रहती थी। तभी सईद सरकार ने इस नियम को खत्म करने का फैसला लिया, जिससे सुरक्षा में ढील हो गई।
आम ट्रैफिक भी सुरक्षाबलों के काफिले के साथ ही निकलने लगा
इसका असर यह हुआ कि आम ट्रैफिक भी सुरक्षाबलों के काफिले के साथ ही निकलने लगा। हालांकि पूरे रास्ते पर आईईडी की जांच की जाने लगी और सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी गई। यहां तक कि सेना को भी आतंकियों को रोकने के लिए मुस्तैद कर दिया गया। लेकिन बाद में इन नियमों में भी थोड़ी ढील देखने को मिली।