आरोपी अमित दिग्वेकर और राजेश बंगेरा को गौरी लंकेश हत्या मामले में कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच दल ने गिरफ्तार किया था। एक अन्य आरोपी शरद कलस्कर को महाराष्ट्र एटीएस ने नलसोपारा हथियार और विस्फोट मामले में गिरफ्तार किया था। इन हत्यारोपियों को सीबीआई ने पुणे की अदालत में पेश किया था। सीबीआई ने दाभोलकर हत्याकांड से इन आरोपियों की संलिप्तता के आधार पर अदालत में रिमांड बढ़ाने की मांग की थी। सीबीआई का दावा है कि दाभोलकर हत्या केस में कलस्कर दो शूटर्स में एक है। हालांकि कलस्कर को दस दिन पहले 15 सितंबर तक के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया था। लेकिन सीबीआई की ओर से गिवेकर और बंगेरा की रिमांड बढ़ाने मांग को पुणे के न्यायिक मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया।
छह लोग हो चुके हैं गिरफतार
इस मामले में सीबीआई छह आरोपियों को पहले संदेह के आधार पर गिरफ्तार कर चुकी है। सीबीआई के अभियोजक विजयकुमार धाकने ने बताया कि इस मामले में सनातन संस्था के ईएनटी सर्जन डॉ. विरेंद्र तावडे को जून, 2016 में गिरफ्तार किया था। इस मामले में सीबीआई ने तावड़े को मास्टरमाइंड बताया था। जबकि गौरी लंकेश हत्याकांड में मुख्य षडयंत्रकर्ता अमोल कोले को सीबीआई ने दाभोलकर मामले में की कांस्पीरेटर माना है। कलस्कर और सचिन सचिन एंड्यूरे दोनों औरंगाबाद से गिरफ्तार किया गया था। दिगवेकर और बंगेरा को इस मामले में लिप्त माना जा रहा है।
आरोपी के वकील राज चंदेल ने बताया कि दोनों आरोपियों को सीबीआई ने दस दिनों पहले रिमांड पर अपने कब्जे में लिया था। दोनों जांच में तभी से सहायोग कर रहे हैं। लेकिन दस दिनों बाद भी जांच में कोई प्रगति नहीं है। यही कारण है कि सीबीआई ने अदालत के समक्ष पेशी के दौरान इस बार भी वही तर्क रखे जो पहले रखा जा चुका है। सीबीआई के मुताबिक इनमें से एक कलस्कर दाभोलकर हत्या मामले में दो निशानेबाजों में से एक है।
आपको बता दें कि नरेंद्र दाभोलकर एक तर्कवादी कार्यकर्ता थे। उनकी हत्या पुणे में 20 अगस्त, 2013 को हुई थी जबकि गौरी लंकेश की हत्या पांच सितंबर, 2017 को हुई थी। बताया जा रहा है कि लंकेश की हत्या में शामिल शूटर्स ने दाभोकर की हत्या में अहम भूमिका निभाई थी। इसी के आधार पर सीबीआई ने लंकेश मामले में आरोपी गिवेकर और बंगेर तथा कलस्कर को अलग-अलग एजेंसियों से अपने हिरासत में लेने का काम किया था।