इस सबके बीच एक सवाल जरूर सामने आता है क आखिर रफाल विमान में इतना खास क्या है, जिसे खरीदने के समझौते पर इतना घमासान मचा हुआ है। आइए इसके बार में विस्तार से जानते हैं।
इस बारे में एक भारतीय वायुसेना अधिकारी ने कहा था कि रफाल एक बेहतरीन लड़ाकू विमान है। इसकी क्षमता अभूतपूर्व है। हमलोग इसका इंतजार कर रहे हैं। आइए इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में जानते हैं…
दुश्मनों के खिलाफ कैसे साबित होगा कारगार रफाल विमान खरीदने के समझौत के बाद से यह सवाल भी उठता रहा है कि क्या इससे भारतीय सेना की ताकत बढ़ेगी? अगर चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्थिति बनती है, तो यह विमान कैसे कारगर साबित होगा। एक मीडिया रिपोर्ट में द इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA) में फाइटर जेट के विशेषज्ञ के हवाले से कहा गया है कि किसी लड़ाकू विमान की ताकत इस बात पर निर्भर करती है कि वे कितनी दूर तक देख सकता है और कितनी दूर तक मार कर सकता है। इस मामले में रफाल बहुत आधुनिक लड़ाकू विमान है।
पाकिस्तान के एफ-16 से ज्यादा है क्षमता एक अन्य रिपोर्ट में विश्लेषक इमैनुएल स्कीमिया के हवाले से दावा किया गया है कि परमाणु हथियारों से लैस रफाल हवा में 150 किलोमीटर दूरी तक मिसाइल दाग सकता है। हवा से जमीन तक इसकी मारक क्षमता 300 किलोमीटर है। एक रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि रफाल की क्षमता पाकिस्तान के एफ-16 से ज्यादा है। IDSA से जुड़े एक विशेषज्ञ के अनुसार- ‘पाकिस्तान के पास जो फाइटर प्लेन हैं जाहिर है कि रफाल की तरह इनकी टेक्नॉलजी एडवांस नहीं है। पर हमें यह समझना चाहिए कि अगर भारत के पास 36 रफाल हैं तो वो 36 जगह ही होंगे। अगर पाकिस्तान के पास इससे ज्यादा फाइटर प्लेन होंगे तो वो कई जगहों से लड़ाई करेगा। यानी संख्या मायने रखती है।‘
‘पाकिस्तान की हवाई क्षमता पर भारी पड़ेगा भारत’ पूर्व रक्षा मंत्री और वर्तमान में गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर भी रफाल समझौते से जुड़े रहे हैं। इसे आगे बढ़ाने में उना महत्वपूर्ण योगदान रहा है। एक बातचीत में उन्होंने कहा था कि- रफाल के आने से भारत, पाकिस्तान की हवाई क्षमता पर भारी पड़ेगा। एक समारोह में उन्होंने कहा था कि- ‘इसका टारगेट अचूक होगा।’
संख्या पर ध्यान देना होगा एक रिपोर्ट में रक्षा विश्लेषक राहुल बेदी ने माना है कि इससे भारतीय वायु सेना की ताकत बढ़ेगी। किंतु इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि इसकी संख्या पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए। इनकी संख्या कम है। बेदी के अनुसार- 36 रफाल अंबाला और पश्चिम बंगाल के हासीमारा स्क्वाड्रन में ही खप जाएंगे। चीन के पास भी भारत से ज्यादा फाइटर प्लेन हैं।
क्या यह डील भारत के हित में है? रिपोर्ट्स के अनुसार- रफाल का इस्तेमाल सीरिया और इराक में किया जा चुका है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इसकी कीमत बहुत ज्यादा है। यह भी हो सकता है कि इसका कभी उपयोग ही न करना पड़े। रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी का मानना है कि यह डर का कारोबार है। ‘भारत ने अरबों डॉलर लगाकर रफाल ख़रीदा है। संभव है कि इसका इस्तेमाल कभी ना हो और लंबे समय में इसकी तकनीक पुरानी पड़ जाए और फिर भारत को दूसरे फाइटर प्लेन खरीदने पड़ें। ऐसी चीजें दुनिया के ताकतवर देशों को ही रास आती हैं।