विविध भारत

रतन टाटा ने मुंबई की स्लम बस्तियों में कोरोना संकट को बताया खतरे की घंटी

शहरी योजनाकार और प्रशासक को इस स्थिति के लिए शर्म आनी चाहिए
कोरोना वायरस ने भारतीय शहरों में आवास के संकट को उजागर किया
शहरों में बिल्डरों और आर्किटेक्टों ने वर्टिकल स्लम बना दिए हैं

नई दिल्लीApr 21, 2020 / 05:36 pm

Dhirendra

नई दिल्ली। प्रख्यात उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ( Ratan Tata ) ने ग्लोबल इनोवेशन प्लेटफॉर्म कॉर्पजिनी के भविष्य के डिजाइन और निर्माण विषय पर वर्चुअल पैनल डिस्कशन में कहा कि कोरोना वायरस ( coronavirus ) हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कोरोना संकट को मुंबई के लिए खतरे की घंटी करार दिया। उन्होंने सरकार, शहरी निकायों, योजनाकारों और बिल्डरों की आवासीय नीति पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि हमने ऐसी नीति बनाई कि हमारे आसपास स्लमों की बहुतायत है। यही हमारी सबसे बड़ी समस्या है।
रतन टाटा ने कहा कि मुंबई के यही स्लम आज कोरोना वायरस के लिए हॉटबेड साबित हो रहे हैं। योजनाकारों, स्थानीय निकायों और बिल्डरों की गलत नीतियों का शिकार मुंबई का धारावी, कोलीवाड, गोवंडी व अन्य स्लम बस्तिया हैं। टाटा ने तो यहां तक कह दिया कि शहरों में स्लम बस्तियां उभरने के लिए बिल्डरों को शर्म आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कहर ने शहर में आवास के संकट को उजागर किया है।
UGC गाइडलाइन: साहित्यिक चोरी पड़ेगा भारी, न जॉब मिलेगी न प्रमोशन

टाटा ने कहा कि शहरों में सस्ते आवास और झुग्गियों का उन्मूलन आश्चर्यजनक रूप से दो परस्प विरोधी मुद्दे हैं। हम, लोगों को अनुपयुक्त हालातों में रहने के लिए भेजकर झुग्गियों को हटाना चाहते हैं। यह जगह भी शह से 20 से 30 मील दूर होती हैं। अपने स्थान से उखाड दिए गए उन लोगों के पास कोई काम भी नहीं होता है। उन्होंने आगे कहा कि स्लम बस्ती के इर्द गिर्द आलीशान हाउसिंग यूनिट बनते ही वो अवशेष में तब्दील हो जाते हैं। बिल्डरों और आर्किटेक्टों ने एक तरह से वर्टिकल स्लम बना दिए हैं। जहां न तो साफ हवा है, न साफ सफाई की व्यवस्था और न ही खुला स्थान।
कोविद – 19: Ambala मामले की जांच कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई करे स्वास्थ्य विभाग- अनिल

आर्किटेक्ट न बन पाने का मलाल है

रतन टाटा ने यह भी बताया कि उन्हें एक आर्किटेक्ट ( Architect ) के तौर पर अपना काम लंबे समय तक जारी न रख पाने का मलाल है। उनके पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे। टाटा ने कहा मैं हमेशा से आर्किटेक्ट बनना चाहता था। यह पेशा मानवता की गहरी भावना से जोड़ता है। मेरी उस क्षेत्र में बहुत रुचि थी क्योंकि वास्तुशिल्प से मुझे प्रेरणा मिलती है। लेकिन मेरे पिता मुझे एक इंजीनियर बनाना चाहते थे। इसलिए मैंने दो साल अमेरिका के लॉस एंजिल्स में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बावजूद मैं आर्किटेक्ट नहीं बन सका। इसका पछतावा है। मलाल तो यह है कि मैं ज्यादा समय तक उस काम को जारी नहीं रख सका।

Home / Miscellenous India / रतन टाटा ने मुंबई की स्लम बस्तियों में कोरोना संकट को बताया खतरे की घंटी

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.