महाराष्ट्र: किसानों की आड़ में अमीरों को मिल रहा कर्जमाफी का लाभ
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में किसानों के लिए कर्ज माफी का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन कुछ आंकड़ों के मुताबिक इस कर्ज माफी से गरीब नहीं बल्कि अमीर किसानों को फायदा होने वाला है।
33.8 को मिलेगा पूर्ण कर्जमाफी का लाभ
फणडवीस सरकार ने 24 जून को उन किसानों के लिए कर्ज माफी का ऐलान किया था जिन्होंने बैंकों से डे़ढ लाख रुपये तक कर्ज लिया है। राज्य में ऐसे किसानों की संख्या लगभग 33.8 लाख है। जिनको पूर्ण कर्ज माफी का लाभ मिलेगा। एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ऑपरेटिव विभाग के अधिकारियों ने कहा कि किसानों द्वारा लिए गए ऋण का ज्यादातर हिस्सा जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों का है और ये बैंक राजनेताओं द्वारा चलाए जा रहे हैं। जिससे आशंका इस बात की है कि जिन लोगों को ऋण माफी योजना का लाभ मिल रहा है वो नेताओं के परिवार या पार्टी से जुड़े हो सकते हैं। वहीं एक अधिकारी के मुताबिक ये मजह आशंका ही नहीं है। इस तरह के कई मामले प्रकाश में भी आ चुके हैं। जिनमें 5 लाख रुपये तक का ऋण आवश्यक दस्तावेजों के न रहने पर भी दिए गए हैं। जो इस बात की ओर इशारा करता है कि इस कर्ज माफी का दुरुपयोग हो सकता है।
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राज्य सरकार पर 34 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ
अधिकारियों के मुताबिक राज्य में 13 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक (डीसीसी बैंक) हैं जो कर्ज देने की वजह से ही आर्थिक रुप से कमजोर हैं। इन बैंकों में बड़ी संख्या में उन डिफाल्टर लोगों के खाते हैं जो वास्तव में आर्थिक रुप से कमजोर नहीं हैं। राज्य में किसानों को 3 लाख रुपये तक का फसल ऋण 11 फीसदी ब्याज पर दिया जाता है। जिनमें से किसान को सिर्फ 4 फीसदी ब्याज का ही भुगतान करना होता है, शेष राशि राज्य और केंद्र सरकार द्वारा बैंकों को चुकता की जाती है। बता दें कि महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में किसानों ने फसल खराब होने की वजह से कर्ज माफी की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन किया था। 11 दिनों तक लगातार आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस ने सूबे के किसानों को ड़ेढ लाख रुपये तक के कर्ज माफी का ऐलान किया। सरकार ने दावा किया कि इस कर्ज माफी से राज्य के 90 फीसदी किसानों को राहत मिलेगा। किसानों के इस कर्ज माफी योजना को सरकार ने छत्रपति शिवाजी महाराज कृषि सम्मान का नाम दिया है। सरकार के इस फैसले से राज्य के खजाने पर 34 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ा है। सरकार ने इस बोझ को कम करने के लिए अपने खर्चों में कटौती के साथ सभी विधायक और मंत्रियों को एक महीने का तनख्वाह दान देने की अपील की थी। हालांकि सरकार की इस कर्ज माफी योजना में उन किसानों को शामिल नहीं किया गया है जो सरकारी नौकरी कर रहे हैं। इसके साथ ही सरकार ने उन किसानों को 25 फीसदी रिटर्न का तोहफा भी दिया जो नियमित रुप से कर्ज भरते हैं।
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