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सबरीमला विवाद: केंद्र ने पहले ही कहा था हो सकती है हिंसा, केरल सरकार ने नहीं दिया ध्यान

सबरीमाला मंदिर विवाद के बीच गृह मंत्रालय की वह चिट्ठी भी सामने आ गई है। जिसमें केंद्र ने केरल सरकार को पहले ही हिंसा के लिए सचेत किया था।

Oct 19, 2018 / 05:07 pm

Chandra Prakash

Sabarimala temple case

सबरीमला विवाद: केंद्र ने पहले ही कहा था हो सकती है हिंसा, केरल सरकार ने नहीं दिया ध्यान

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सबरीमला मंदिर में तीसरे दिन भी 10-50 वर्ष की आयु की महिलाएं प्रवेश नहीं कर सकी। शुक्रवार को भारी सुरक्षा के बीच दो महिलाएं मंदिर के मुख्य गेट के पास पहुंचने के बाद हालात इतने खराब हो गए कि पुलिस के साथ महिलाओं को वापस लौटना पड़ गया। इसी बीच गृह मंत्रालय की वह चिट्ठी भी सामने आ गई है। जिसमें केंद्र ने केरल सरकार को पहले ही सबरीमला को लेकर भड़की हिंसा के लिए सचेत किया था।

महिलाओं को भड़का सकते हैं माओवादी: केंद्र

सबरीमला को लेकर केरल सरकार को केंद्र ने 16 अक्टूबर को ही एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें मंदिर खुलाने बाद महिलाओं के प्रवेश को लेकर उपद्रव की आशंका जाहिर की गई थी। केंद्र की ओर से यह चिट्ठी केरल और तमिलनाडु के मुख्य सचिवों और दोनों राज्यों के डीजीपी को लिखी गई थी। चिट्ठी में लिखा था कि मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश करने वाली कुछ महिलाओं को माओवादी संगठनों और उग्र वामपंथी समूहों का समर्थन हासिल है। ये लो महिलाओं का भड़का सकते हैं। साथ ही कुछ हिंदू संगठन विरोध प्रदर्शन की तैयारी में हैं। इसके साथ ही खत में सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने का निर्देश दिया गया था।

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महिलाओं को रोकना मतलब कोर्ट की अवमानना

मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर उठे विवाद पर गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने ने गुरुवार को कहा कि सबरीमला मंदिर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा का उत्तरदायित्व राज्य सरकार है क्योंकि वहां की कानून एवं व्यवस्था राज्य सरकार के दायरे में आता है। अधिकारी ने कहा कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ही कानून एवं व्यवस्था को लेकर एक एडवाइजरी पहले ही भेज दी गई है। मंत्रालय ने 15 अक्टूबर को ही केरल सरकार को एडवाइजरी भेज दी थी। उन्होंने बताया कि तथ्य यह है कि राज्य सरकार यदि किसी भी उम्र की महिला श्रद्धालु को मंदिर में प्रवेश करने से रोकती है तो यह सीधे तौर पर उच्चत्तम न्यायलय के फैसले की अवमानना होगी।
भक्तों के आगे झुकी पुलिस, बैगर दर्शन लौटीं महिलाएं

शुक्रवार को सैकड़ों भक्तों के भारी विरोध की वजह से केरल पुलिस के सुरक्षा घेरे में जा रही दोनों महिलाओं को भगवान अयप्पा मंदिर की यात्रा से लौटने को मजबूर होना पड़ा। हैदराबाद की पत्रकार कविता अपने चार सहयोगियों और एक अन्य महिला भक्त रेहना फातिमा के साथ सुबह करीब 10.50 बजे कोच्चि से पंबा पहाड़ी पर स्थित मंदिर की अपनी यात्रा शुरू की। रेहन फातिमा कोच्चि की रहने वाली हैं। सुबह करीब 6.45 बजे दोनों महिलाओं ने लगभग 100 पुलिसकर्मियों के सुरक्षा घेरे के साथ दो घंटे की चढ़ाई शुरू की थी। पुलिसकर्मियों की अगुवाई पुलिस महानिदेशक एस.श्रीजीत ने की। दो महिलाओं के मंदिर पहुंचने की खबर सुनने के बाद मंदिर के तंत्री के लगभग 30 कर्मचारी अपना अनुष्ठान छोड़कर विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए और सीढ़ियों के सामने बैठ गए। ये सभी भगवान अयप्पा के मंत्र जपने लगे। जब समूह मंदिर के पहले प्रवेश बिंदु पर पहुंचा तो हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़क पर लेट गए। मंदिर के तंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगर पंरपरा व विश्वास का कोई उल्लंघन किया गया तो वह मंदिर को बंद करने पर बाध्य हो जाएंगे। जिसके बाद महिलाओं ने यात्रा छोड़कर लौटने का फैसला किया।

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