दरअसल, 12 सितंबर को एक सेमिनार का आयोजन होना है। इसकी थीम 2035 तक वायुसेना का ढांचा है। इस कार्यक्रम में राफेल सौदे से जुड़े अधिकारी भी शिरकत करेंगे। बताया जा रहा है कि वो फ्रांस के साथ सितंबर, 2016 में हुए इस सौदे के हर पहलू से जुड़े सवालों का जवाब दे सकते हैं। बताया जा रहा है कि इस सौदे में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी को फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन के साथ करार पर वार्ता करने वाले दल का प्रमुख बनाया था।
वायुसेना में हथियार प्रणाली एवं प्लेटफॉर्म से जुड़ी सभी नई खरीद उपवायुसेना प्रमुख की निगरानी में हुई हैं। इसलिए वायुसेना के मौजूदा उप-प्रमुख और कारगिल युद्ध के हीरो एयरमार्शल रघुनाथ नांबियार के भी इस सेमिनार को संबोधित कर सकते हैं। इस सेमिनार में उद्घाटन भाषण वायुसेना प्रमुख मार्शल बीएस धनोआ द्वारा दिए जाने की संभावना है। इसका आयोजन वायुसेना का थिंक टैंक सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज कर रहा है। इसमें वायुसेना की मध्य कमान के प्रमुख एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा भी शामिल होंगे। सिन्हा भी राफेल सौदे की सभी अहम प्रक्रियाओं का हिस्सा रहे हैं। वह राफेल अनुबंध वार्ता समिति (सीएनसी) के शुरुआती प्रमुख भी रहे हैं। ट्रेनिंग कमान के मौजूदा प्रमुख और देश के उप-वायुसेना प्रमुख के अधीन इस अनुबंध को अंतिम रूप दिया गया।
आपको बता दें कि कांग्रेस राफेल सौदे को लेकर भाजपा और पीएम मोदी को अक्सर घेरती नजर आती है। कांग्रेस ने राफेल के मुद्दे पर देशभर में करीब 100 से अधिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की हैं। इसके अलावा कांग्रेस की कोर कमेटी ने अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मिलकर बैठक भी की। पार्टी ने बैठक में मोदी सरकार को घेरने का प्लान बनाया। आज वरिष्ठ वकील मनोहर लाल शर्मा की राफेल सौदे के खिलाफ एक याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने विचारार्थ स्वीकार कर लिया है। शीर्ष अदालत के इस निर्णय से मोदी सरकार पर इस बात का दबाव बढ़ गया है कि वो इस सौदे से पर्दा उठाए।