तीन जजों की बेंच ने की सुनवाई
करीब डेढ़ घंटे चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुबह पांच बजे याकूब की फांसी को बरकरार रखते हुए वकीलों की याचिका खारिज कर दी। याकूब की ओर से वकील आनंद ग्रोवर ने जबकि सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील दी। जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच में जस्टिस अमिताभ रॉय और जस्टिस प्रफुल्ल चंद्र पंत भी शामिल थे और इन्होंने फांसी की सजा को बरकरार रखा।
याकूब के वकील का पक्ष
याकूब के वकीलों ने दलील दी कि उसे 14 दिन का समय मिलना चाहिए। याकूब के पास दया याचिका पर अपील का अधिकार है और राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने की कॉपी भी नहीं मिली। 2014 में दया याचिका याकूब के भाई ने दाखिल की थी, इस बार उसने दाखिल की है। इसका विरोध करते हुए सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि बार-बार याचिका दायर करने से सिस्टम कैसे काम करेगा? इस तरह से तो मौत के वारंट की कभी तामील नहीं हो सकेगी। राष्ट्रपति के पास और भी काम है और याकूब की सहमति से ही दया याचिका खारिज की गई थी।
सुनवाई के विरोध में हुआ प्रदर्शन
इससे पहले रात साढ़े 12 बजे वकील प्रशांत भूषण सहित 12 वकील चीफ जस्टिस एचएल दत्तू के घर गए और सुनवाई की अपील की। इस पर जस्टिस दत्तू ने जज दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच को सुनवाई रात में ही करने को कहा। जस्टिस मिश्रा ने अपने घर के बजाय सुप्रीम कोर्ट की खुली अदालत में सुनवाई करने का निर्णय लिया। सुनवाई होने से पहले कुछ लोगों ने सुनवाई के विरोध में कोर्ट के बाहर प्रदर्शन भी किया।