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SC का ऐतिहासिक निर्णय, कहा-HC को अपने ही आदेश वापस लेने का है अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी राज्य के हाईकोर्ट को यह अधिकार है कि वह अपने किसी पूर्व आदेश को वापस ले सकें।

Dec 08, 2018 / 02:56 pm

Anil Kumar

SC का ऐतिहासिक निर्णय,कहा-HC को अपने ही आदेश को वापस लेने का है अधिकार

नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि किसी भी राज्य के हाईकोर्ट को यह अधिकार है कि वह अपने किसी पूर्व आदेश को वापस ले सकें। यह अधिकार हाईकोर्ट के ‘कोर्ट ऑफ रिकॉर्ड’ होने के कारण स्वतः मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ़ ग्रेटर मुंबई बनाम प्रतिभा इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड मामले में हाईकोर्ट की ओर से अपने फैसले को वापस लेने के संबंध में ये बातें कही है।

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क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट एकल पीठ ने म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ़ ग्रेटर मुंबई बनाम प्रतिभा इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड मामले में मध्यस्थता की नियुक्ति का आदेश दिया था। लेकिन बाद में जज को यह एहसास हुआ कि समझौते में मध्यस्थता का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश को वापस ले लिया। अब इस फैसले को लेकर अन्य पक्ष ने कोर्ट में अपील की। याचिकार्ता ने कहा कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम के प्रथम भाग में चूंकि इस तरह का प्रावधान नही है,लिहाजा किसी भी अदालत को अपने ही आदेश को वापस लेने के बारे में एकल जज के समक्ष दायर पुनर्विचार याचिका की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसपर म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ़ ग्रेटर मुंबई ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। कॉर्पोरेशन ने कहा कि हाईकोर्ट के पास यह अधिकार है कि वह अपने आदेश को वापस ले सकें, क्योंकि वह ‘कॉर्ट ऑफ रिकॉर्ड’ है। इसपर विपक्ष के वकील ने कहा कि मध्यस्थता अधिनियम अपने आप में एक संहिता है और इस वजह से पुनर्विचार के अधिकार के लिए इस क़ानून के बाहर देखने की ज़रूरत नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने कुछ फैसलों का किया जिक्र

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि चूंकि हाईकोर्ट ‘कोर्ट ऑफ रिकॉर्ड है’ इसलिए उसे अपने आदेश को वापस लेने का अधिकार स्वतः मिला है और इस बात को सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों में इससे पहले देखा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने कुछ फैसलों (National Sewing Thread Co. Ltd. v. James Chadwick & Bros., Shivdev Singh & Ors. v. State of Punjab और M.M. Thomas v. State of Kerala ) का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट को अधिकार है कि अपने आदेश को वापस ले सकें।

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