नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को मंगलवार को निर्देश दिया कि अगला आदेश आने तक वह रोजाना तमिलनाडु को 2,000 क्यूसेक पानी देता रहे। साथ ही कोर्ट ने दोनों राज्यों को शांति और एकता बनाए रखने की सलाह भी दी। इससे पहले मामले की सुनवाई अपराह्न दो बजे के लिए स्थगित कर दी गई थी और तीन-सदस्यीय नई पीठ ने इसकी सुनवाई की। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कर्नाटक सरकार को कहा कि वह अगले आदेश तक तमिलनाडु को रोजाना 2000 क्यूसेक पानी दे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष जी एस झा की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने सोमवार को सुझाव दिया था कि कावेरी जल विवाद को सुलझाने के लिए पुरानी और अवैज्ञानिक वॉटर अप्लिकेशन तकनीक को खत्म किया जाना चाहिए। साथ ही समिति ने कहा था कि कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों में लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं, जिससे बेरोजगारी और आर्थिक तंगी बढ़ रही है। शीर्ष अदालत की तरफ से कावेरी बेसिन के जमीनी हालात की जांच के लिए बनाई गई कमेटी ने कहा कि तमिलनाडु और कर्नाटक को एक-दूसरे की जरूरतों को समझना और उसका सम्मान करना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि दोनों राज्यों को इस बारे में अपने-अपने लोगों को समझाना भी चाहिए। नौ-सदस्यीय कमेटी ने अपनी 40 पृष्ठों की रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया था कि दोनों राज्यों के किसानों की हालत खराब है और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।
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