श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में बडगाम जिले की एक स्थानीय अदालत ने हुर्रियत कांफ्रेंस के अलगाववादी नेता मसर्रत आलम की जमानत याचिका आज खारिज कर दी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने अभियोजन पक्ष एवं बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था।
सीजेएम ने एक उच्च न्यायालय के फैसले को आधार बनाकर जमानत याचिका खारिज कर दी। मसर्रत के वकील ने कहा कि वह अदालत जाकर जमानत याचिका खारिज करने के कारणों के बारे में जानकारी लेंगे।
पाकिस्तानी झंडा लहराने का है आरोप
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी करने और वहां का झंडा लहराने के आरोप में गत 17 अप्रैल को मसर्रत को गिरफ्तार किया गया था। अलगाववादी नेता ने जमानत के लिए बडगाम की एक स्थानीय अदालत में याचिका दायर की थी।
गत 18 अप्रैल को सुरक्षाकर्मियों की गोलीबारी में एक नाबालिग सुहैल अहमद सोफी की मौत के कारण हुए विरोध प्रदर्शनों की वजह से पुलिस इस जमानत याचिका पर अपनी आपत्तियां दर्ज नहीं करा सकी थी। इसके बावजूद बडगाम के पुलिस आयुक्त ने मसर्रत के खिलाफ जनसुरक्षा अधिनियम (पीएसए) लगाकर उसे यहां से 23 अप्रैल को जम्मू जेल स्थांतरित कर दिया था।
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