पीएम मोदी को शिवसेना की सलाह, तानाशाह मत बनो
शिवसेना ने कहा तानाशाह मत बनो, तानाशाह हिटलर का भी गर्व, अहंकार खत्म हो गया, लोकतंत्र के महत्व को समझो
मुंबई। मोदी सरकार के लिए उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला गले की हड्डी बन गया है। केंद्र और महाराष्ट्र में सरकार की सहयोगी शिवसेना ने भी इस मामले में बीजेपी की आलोचना की है। शिवसेना ने कहा कि जल्दबाजी में उत्तराखंड पर राष्ट्रपति शासन लादकर शक्ति दिखाने का जिन्होंने प्रयास किया वे खुद चित्त हो गए।
बीजेपी की भद्द पिटी
उत्तराखंड विधानसभा में फ्लोर टेस्ट में भाजपा की हार के बाद सामना ने अपने संपादकीय में अपनेे सहयोगी पर खूब निशाना साधते हुए नाक काटी शीर्षक से सामना के संपादकीय पन्ने पर लिखा है कि उत्तराखंड में जो हुआ उससे बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी को जीत की तुतरी और ढोल बजाने का मौका दिया है। इससे बीजेपी की भद्द पिटी है।
लोकतंत्र की जीत हुई
शिवसेना ने लिखा है कि उत्तराखंड को देवभूमि का दर्जा प्राप्त है। इसके राजनीतिक शक्ति परीक्षण में कौन जीता कौन हारा इसकी बजाए लोकतंत्र की जीत हुई ऐसा कहना पड़ेगा। उत्तराखंड पर जल्दबाजी में राष्ट्रपति शासन लादकर शक्ति दिखाने का जिन्होंने प्रयास किया वो खुद चित हो गए, लेकिन कांग्रेस को टॉनिक मिल गया इसका हमें दुख है।
मोदी की मर्जी से हुआ सबकुछ
प्रधानमंत्री मोदी को मामले में घेरते हुए शिवसेना ने कहा कि जो कुछ हुआ है वह प्रधानमंत्री की मर्जी से हुआ होगा, इससे देश की जनता उन्हें दूर से दंडवत कर रही है। उत्तराखंड में कोर्ट का हस्तक्षेप सत्ताधीशों की गलतियों की वजह से है।
लोकतंत्र के महत्व को समझो
शिवसेना ने कहा, ‘उत्तराखंड में हुई गड़बड़ी और राजनीतिक उठापटक के लिए लोगों ने तुम्हारे (बीजेपी के) हाथ में सत्ता नहीं दी है। संपादकीय में लिखा गया है- ‘तानाशाह मत बनो, तानाशाह हिटलर का भी गर्व, अहंकार खत्म हो गया और अंधेरे खंदक में उसे गोली मारनी पड़ी, इसलिए लोकतंत्र के महत्व को समझो।
जनता के हाथ में है दोधारी तलवार
पूरे घटनाक्रम को बीजेपी की इज्जत से जोड़ते हुए शिवसेना ने नेताओं को सबक लेने की सलाह दी। शिवसेना ने कहा, जनता ने राज करने की लिए हाथ में दोधारी तलवार दी है। इस तलवार से खुद की नाक मत काटो, उत्तराखंड में यही हुआ है।
कांग्रेस को अंदरूनी मामला
शिवसेना नेे लिखा है कि 9 विधायकों के बगावत का मामला कांग्रेस का अंदरूनी मामला था। लेकिन जिन लोगों ने लोकतंत्र और राजनीतिक साधन सुचिता के नाम पर गला फाड़ा वही लोग सत्ता में आने के बाद कांग्रेस की तरह बर्ताव करने लगे।
देश में और भी समस्याएं
शिवसेना ने लिखा हैै कि देश को कांग्रेस मुक्त करने का यह तरीका नहीं है। देश में और भी समस्याएं हैं। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के हमले में पुलिस के जवान मर रहे हैं और कश्मीर घाटी में स्थिति बेकाबू होती जा रही है। दिल्ली में केजरीवाल की सरकार भी ठीक से नहीं चल रही है।
भाजपा को मिले 28 वोट
गौरतलब है कि उत्तराखंड विधानसभा में 10 मई को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में शक्ति परीक्षण हुआ, जिसे बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट भेज दिया गया था। 11 मई को कोर्ट ने बताया कि शक्ति परीक्षण के दौरान कांग्रेस को 33 जबकि भाजपा को सिर्फ 28 वोट ही मिले।
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