बताया जा रहा है कि एक मार्च से 15 मार्च तक तबलीग-ए-जमात में हिस्सा लेने के लिए देश-विदेश से करीब 18 से ज्यादा लोगों की जमात निजामुद्दीन इलाके में स्थित मरकज में आई थी। इसमें स्थानीय लोगों को भी जोड़ा जाए तो यह संख्या करीब दो हजार तक पहुंच जाती है। दिल्ली या आसपास इलाके से करीब साढ़े 500 लोग यहां इकट्ठा हुए थे. इस कार्यक्रम में श्रीलंका, बांग्लादेश, इंग्लैंड, इंडोनेशिया, ईरान समेत 16 देशों के लोग आए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि तबलीगी जमात में शामिल होने जब लोग यहां आए थे, उससे पहले ही कई देशों में कोरोना वायरस का संक्रमण फैल चुका था।
इन लोगों के यहां रहने के दौरान एक बात बेहद सामान्य थी कि जब कभी ये लोग आपस में मिलते थे, तो दुआ-सलाम के बाद एक-दूसरे का हाथ भी चूमते थे और गले मिलते थे। बताया जा रहा है कि यही लापरवाही भारी पड़ी और इस वजह से संक्रमण और तेजी से फैलता चला गया। लेकिन, जब तक लोगों को इस संक्रमण का पता चलता तब तक मामला काफी आगे निकल चुका था। हालात अब ये है कि करीब एक हजार लोगों का कोरोना टेस्ट कराया जा रहा है।
इधर, निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात वाले कई बड़े मौलानाओं के खिलाफ दिल्ली पुलिस मामला दर्ज करने के बाद औपचारिक तौर पर कार्रवाई करने वाली है। क्योंकि कई मौलानाओं को खिलाफ आरोप है कि उन लोगों की लापरवाही की वजह से इस इलाके में रहने वाले और दिल्ली समेत कई राज्यों के लोगों की जान आफत में फंसी हुई है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मौलानाओं के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।