जानकारी के मुताबिक, वशिष्ठ नारायण सिंह के छोटे भाई ब्लड बैंक के बाहर शव के साथ खड़े रहे, लेकिन प्रशासन ने कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई। बताया जा रहा है कि निधन के बाद पीएमसीएच प्रशासन द्वारा केवल डेथ सर्टिफिकेट देकर पल्ला झाड़ लिया गया। वहीं, जब वशिष्ठ नारायण सिंह के छोटे भाई से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम अपने पैसे से अपने भाई का शव गांव ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि मेरे भाई के निधन की खबर के बाद से न तो कोई अधिकारी आया है और न ही कोई राजनेता। वशिष्ठ नारायण सिंह के छोटे भाई ने कैमरे के सामने रोते हुए कहा कि अंधे के सामने रोना, अपने दिल का खोना। उन्होंने कहा कि मेरे भाई के साथ लगातार अनदेखी हुई है। जब एक मंत्री के कुत्ते का पीएमसीएच में इलाज हो सकता है तो फिर मेरे भाई का क्यों नहीं? इस खबर ने सरकारी महकमे पर कई सवला खड़े दिए हैं, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद उनके निधन पर दुख प्रकट किया है।
गौरतलब है कि साल 1969 में वशिष्ठ नारायण सिंह ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए। अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा में भी उन्होंने काम किया। लेकिन, पिछले कुछ समय से वो काफी बीमार थे और सराकीर उदासीनता के कारण उन्हें कोई मदद नहीं मिली।