स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार- पूजा झा नाम की गर्भवती महिला को चासनाला स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था। उसे भर्ती कराने के कुछ समय बाद ही डॉक्टर सुशील कुमार वहां पहुंचे। उन्होंने डॉक्टरों पर दबाव डाला कि बेहतर इलाज के लिए उसे पाटलीपुत्र मेडीकल कॉलेज एवं अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाए। प्रक्रिया पूरी होने के बाद वे महिला को पीएमसीएच लेजाने के बजाय कैंडुडाह स्वास्थ्य केंद्र में ले गए। वहां उसने महिला का ऑपरेशन किया। अधिकारियों का कहना है कि डॉ. सुशील कुमार के पास केवल एमबीबीएस की डिग्री है। उन्होंने बिना एनेस्थीजिया देने वाले और बिना गाइनोक्लॉजिस्ट की सहायता से आॅपरेश्न किया।
जबकि डॉ. कुमार ने इन आरोपों को नकारा है। उनका कहना है कि वे महिला मरीज को जानते हैं। इसीलिए वे उसे अपने केंद्र में लेकर आए थे। महिला की हालत गंभीर थी। उन्होंने दावा किया कि सर्जरी उन्होंने नहीं बल्कि गायनोक्लॉजिस्ट ने की है। साथ ही कहा- उन्होंने महिला और बच्चे की जान बचाई है। यदि जान बचाना अपराध है, तो वे ऐसा अपराध दोहराने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अभी तक कारण बताओ नोटिस नहीं मिला है।
उधर चासनाला के मेडीकल अफसर इस बात से इंकार करते हैं कि महिला की हालत गंभीर थी। चासनाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के इंचार्ज डॉ. एसके सिन्हा ने कहा कि सामुदायक स्वास्थ्य केंद्र से किसी भी स्थानीय केंद्र में मरीज को नहीं भेजा जाता है। इस विशेष मामले में डिलिवरी में अभी समय था, इसलिए सर्जरी की आवश्यकता नहीं थी। डॉक्टर उसे निगरानी में रखना चाहते थे, लेकिन डॉक्टर कुमार उसे उस स्वास्थ्य केंद्र में ले गए, जहां वे खुद तैनात हैं। कैंडुडाह स्वास्थ्य केंद्र के मेडीकल अफसर डॉ. अलोक विश्वकर्मा की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस में डॉ. कुमार से पूछा गया है कि वे महिला मरीज को क्यों स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए और सोशल मीडिया पर तस्वीरें अपलोड क्यांेकर कीं? डॉ. विश्वकर्मा का कहना है कि बिना आधिकारिक अनुमति के रेफर की गई जगह के अलावा दूसरी जगह पर मरीज को लेजाने पर अपहरण का मामला भी बनता है।