रंजीत कुमार जून 2014 में ही सॉलिसिटर जनरल बने थे. उन्होंने कई मामलों में गुजरात सरकार का पक्ष रखा था. इसके आलावा कई अहम मामलों में वे एमिकस क्यूरी की भूमिका निभा रहे थे. शोहराबुद्दीन शेख के विवादित मामले से लेकर तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के आय से अधिक संपत्ति वाले मामले में भी वे पक्षकार रह चुके हैं.
एक जानकारी के मुताबिक़ अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इस शीर्ष पोस्ट के लिए दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है. वे पहले भी बड़े मामलों की कार्रवाई से सीधे जुड़े हुए हैं. हलांकि इस रेस में कुछ और नामों पर भी चर्चा हो रही है.
दरअसल, इस बात की चर्चा है कि प्रधानमंत्री मौजूदा कानूनी टीम से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. वे और अधिक प्रोफेशनल टीम चाहते हैं. इसलिए इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि जब भी सॉलिसिटर जनरल पद के लिए प्रक्रिया शुरू की जायेगी, उसके साथ दो अन्य अडिशनल सॉलिसिटर जनरल के लिए भी चर्चा रहेगी.
यहां ये भी ध्यान देने वाली बात है कि हाल ही कुछ मसलों पर सरकार की कोर्ट के सामने फजीहत हुई है. सरकार को लगता है कि इन मामलों में कोर्ट में सरकार का पक्ष और अधिक बेहतर ढंग से रखा जा सकता था. आशंका है कि तभी से प्रधानमंत्री लीगल टीम से संतुष्ट नहीं थे और इसी कारण वे सॉलिसिटर जनरल की और बेहतर टीम रखना चाह रहे थे.
मुकुल रोहतगी ने भी दिया था इस्तीफा रंजीत कुमार ऐसा करने वाले वे दूसरे शीर्ष पदाधिकारी हैं. उनके पहले मोदी सरकार के करीबी रहे पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने भी अपना इस्तीफा देने के पीछे कोई ठोस कारण नहीं बताया था, रोहतगी ने कहा था कि उन्होंने एक माह पहले ही सरकार से पद से इस्तीफा देने की इच्छा जताई थी. उनके मुताबिक़ वे प्राइवेट प्रैक्टिस की तरफ लौटना चाहते थे.