लोगों के लिए खुद की जान कर दी कुर्बान, आत्मघाती हमलावर को गले लगा खुद धमाके में उड़ गया पुलिसवाला दरअसल धंनजय कुमार नाम का यह छात्र हिंदी विषय में महज 2 नंबर मिलने के बाद से तनाव में था। धनंजय ने इस बाबत बोर्ड में आवेदन भी किया था लेकिन उसके इन नम्बरों को जांच के बाद सही नहीं किया गया। लिहाज़ा छात्र ने आरटीआई का सहारा लिया।
जब धनंजय को अपने द्वारा लगाई गई आरटीआई का जबाब मिला तब उसमें उसे बीते 1 नवंबर को अपनी हिंदी कॉपी की एक फोटोकॉपी मिली, जिसमें 79 नंबर मिले थे। लेकिन आरटीआई का जवाब आने के बावजूद छात्र को को नई मार्कशीट मिलने में 2 हफ्तों का इंतजार करना पड़ा।
इस तस्वीर से दुनिया है हैरान, लाखों लोग नहीं बता सके हैं इन लड़कियों की कितनी है संख्या, क्या आप लगायेंगे अपना दिमाग? समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक यह आवेदन धनंजय के बड़े भाई ने किया था। भाई ने आरटीआई के तहत आवेदन किया था। धनंजय के भाई के अनुसार ‘‘हम पिछले 6 महीनों से इधर से उधर अधिकारियों के पास चक्कर लगा रहे थे। मेरा भाई ठीक से पढ़ाई भी नहीं कर पा रहा था।’’ वहीं इस बाबत धनंजय का कहना है कि, ‘‘मैं आईआईटी में पढाई करना चाहता था, लेकिन अब मेरे सारे सपने टूट गए हैं। मेरे मन में आत्महत्या करने का विचार आता था, लेकिन मेरे परिवार ने मेरी मदद की।’