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शादी बनी रोड़ा तो लगाया रेप का आरोप
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में कहा कि घटना के वक्त 1995 में महिला की उम्र महज 13 साल की थी, जबकि 1999 में जब उसने FIR दर्ज कराई तो मेडिकल जांच में उसकी उम्र तब 25 साल की पाई गई। इससे साफ है कि महिला ने अपनी उम्र झूठ बोलकर आठ साल कम बताई थी। बता दें कि दोनों अलग-अलग धर्म के हैं जो दोनों के विवाह की समस्या बनी। महिला ने एफआईआर में युवक पर शादी करने का वादा करके रेप का आरोप लगाया था।
जजों ने क्या कहा?
इस मामले में कई सबूतों की गहन पड़ताल करते हुए पीठ ने कहा: “वे दोनों एक-दूसरे के प्यार में पागल थे। युवाओं के जुनून ने उनके दिमाग और भावनाओं पर शासन किया था। इस वजह से दोनों ने शारीरिक संबंध भी बनाए और लंबे वक्त तक ऐसा करते रहे। इसके बाद भी महिला उसके घर रही। लड़के की शादी के ठीक सात दिन पहले एफआईआर दर्ज कराने से महिला की शिकायत पर गंभीर शंका पैदा होती है।
पीठ ने कहा, ‘महिला को धार्मिक समस्याओं का पता था, फिर भी वह लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाती रही। अगर दोनों की शादी हो गई होती तो महिला बलात्कार का आरोप नहीं लगाती। उसने कहा कि उसने लड़के को चिट्ठी नहीं लिखी, लेकिन सबूत इसके उलट है। दोनों की चिट्ठियों से पता चलता है लड़का उससे शादी करना चाहता था।
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लड़का चाहता था शादी करना
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘सबूतों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि पुरुष कभी महिला से शादी नहीं करना चाहता था। क्योंकि, महिला ने अपने प्रेम पत्रों में यह कई बार स्वीकार किया है कि पुरुष के परिवार का उसके प्रति बहुत अच्छा व्यवहार था।’