याचिकाकर्ता ने अध्यादेश को बताया असंवैधानिक
आपको बता दें कि याचिकाकर्ता ने अपने तर्क में कहा था कि अध्यादेश ‘संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21’ का उल्लंघन करता है। इसलिए यह जरुरी है कि इसे समाप्त किया जाए। याचिका में कहा गया है कि यह ‘संविधान के अनुच्छेद 123 की अनिवार्य आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर रहा है इसलिए यह असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 123 केवल ‘तत्काल कार्रवाई’ की आवश्यकता वाले मामलों में अध्यादेश लाने की बात कहता है।
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सितंबर में मोदी सरकार ने लाया था अध्यादेश
आपको बता दें कि बीते 19 सितंबर को तीन तलाक पर अध्यादेश को केंद्रीय मंत्रीमंडल ने पास किया जिसके बाद मुस्लिम महिलाएं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश 2018पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने हस्ताक्षर कर दिए। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना था कि बीते वर्ष सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी बिना रोक-टोक के यह प्रथा चली आ रही थी। इसलिए इसके खिलाफ अध्यादेश लाना अनिवार्य था। बता दें कि 2017 में सर्वोच्च अदालत पांच जजों की बेंच ने 3-2 के बहुमत से एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को खत्म करने का फैसला सुनाया था। यह प्रथा सदियों से चली आ रही थी।