सेंसर बोर्ड का फैसला अंतिम
राज्यों को कानून व व्यवस्था को बनाए रखने का निर्देश देते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने कहा, “सीबीएफसी (सेंसर बोर्ड) की ओर से एक बार प्रमाणपत्र जारी कर देने के बाद फिल्म के प्रदर्शन में किसी तरह की कोई बाधा नहीं डाली जा सकती। सेंसर बोर्ड ने एक बार प्रमाण पत्र दे दिया तो फिर वह अंतिम है। अदालत ने यह भी कहा कि एक बार सेंसर बोर्ड की ओर से प्रमाण पत्र दिए जाने के बाद जब तक इसे किसी वरिष्ठ अधिकृत प्राधिकारी की ओर से अस्वीकार नहीं किया जाता, तब तक निर्माता को पूरा हक है कि फिल्म को वह रिलीज करे। किसी भी तरह का अवरोध, अराजकता फैलाने वाला और अभिव्यक्ति की आजादी को कमजोर करने वाला माना जाएगा।
सिखों का एक समूह कर रहा है विरोध
मालूम हो कि सिखों का एक समूह ‘नानक शाह फकीर’ में सिख गुरुओं को जीवित मानवों की तरह चित्रित करने पर विरोध जता रहा है। अकाल तख्त ने भी इसकी रिलीज पर प्रतिबंध की घोषणा कर रखी है। अकाल तख्त जत्थेदार गुरबचन सिंह ने मीडिया से अमृतसर में कहा कि उन्होंने विवादास्पद फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब फिल्म रिलीज नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि मानवों की तरह सिख गुरुओं के चित्रण से सिख समुदाय की भावनाओं को चोट पहुंची है।
अकाल तख्त बनाएगा सिख सेंसर बोर्ड
सिख समुदाय की हस्तियों व सिख गुरुओं के चित्रण को लेकर बॉलीवुड व पंजाबी फिल्मों का टकराव होता रहा है। अकाल तख्त ने इस मामले में एक सिख सेंसर बोर्ड बनाने का फैसला किया है। जत्थेदार ने कहा कि भविष्य में सिख धर्म पर आधारित फिल्म बनाने वालों को फिल्म बनाने से पहले इस सिख सेंसर बोर्ड से अनुमति लेनी होगी।