सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक गंभीर विषय बताते हुए कहा कि कानून व्यवस्था का मामला पूरी तरह राज्य सरकार का विषय है। इसपर केंद्र सरकार को नीती बनाने की सलाह नहीं देनी चाहिए। कोर्ट ने 31 अक्टूबर तक राज्य सरकारों से गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को रोरने के लिए उठाए जाने वाले कदम की जानकारी मांगी है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, पीड़ितों को मुआवजा मिलना चाहिए। पीड़ितों को मुआवजा देना राज्यों के लिए अनिवार्य है। पीठ ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत राज्य पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना बनाने के लिए बाध्य है और अगर उन्होंने ऐसी कोई योजना नहीं बनाई है तो जरूर बनाएं। इस संबंध में एक याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सर्वोच्च अदालत से गौरक्षकों की हिंसा के शिकार लोगों को मुआवजे दिए जाने का आग्रह किया।
हर जिले में नोडल अफसर बनाने का आदेश
गोरक्षा के नाम पर चल रही गुंडागर्दी पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी चिंता जता चुका है। 6 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों से ही पूछा कि गौरक्षा को लेकर हो रही हत्याओं को रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकारें क्या कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस दिशा में जल्द ही कोई ठोस कदम उठाने को कहा है। इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश राज्य सरकारों को दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गौरक्षा को लेकर हो रही हत्याओं को रोकने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि हर जिले में 7 दिन के अंदर टास्क फोर्स बनाई जाए और एक स्पेशल ऑफिसर की बतौर नोडल अफसर के रुप में तैनाती की जाए।
केंद्र और राज्य सरकारों को लगाई फटकार
शीर्ष अदालत ने राज्यों को एक सप्ताह में अपनी टास्क फोर्स बनाने के लिए कहा था, जिसमें वरिष्ठ पुलिसकर्मियों को नोडल अधिकारी के रूप में रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा कि अभी तक गौ सेवा के नाम पर कुछ संगठनों के द्वारा की जा रही हत्याओं को रोकने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र का नाम स्पेशल तौर पर लिया है।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से वकील तुषार मेहता ने कहा गौ रक्षकों द्वारा की जा रही हिंसा के लिए कानून मौजूद हैं। इसपर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि वह भी जानते हैं कि कानून मौजूद है पर फिर एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा? चीफ जस्टिस ने सलाह दी कि प्लान बनाया जा सकता है जिससे ऐसी घटनाएं ना बढ़ें।