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SC का ऐतिहासिक फैसला, लीव इन में रहने वाली महिलाएं भी अपने पार्टनर से ले सकेंगी गुजारा भत्ता

कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि लिव इन में रहने वाली लड़कियां, महिला घरेलू हिंसा कानून 2005 के तहत अपने पार्टनर से गुजारा भत्ता ले सकती है।

Nov 02, 2018 / 07:32 pm

Anil Kumar

Supreme Court

नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने लिव इन में रहने वाली महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। दरअसल कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि लिव इन में रहने वाली लड़कियां, महिला घरेलू हिंसा कानून 2005 के तहत अपने पार्टनर से गुजारा भत्ता ले सकती है। बता दें कि गुरुवार को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

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झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ SC ने दिया फैसला

आपको बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट ने एक फैसला देते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत महिला को गुजारा भत्ता तभी दिया जा सकता है जब कानूनी तौर पर उसकी शादी हुई हो। गैर विवाहित महिला को इस कानून के तहत गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता है। बता दें कि इसके बाद महिला ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। महिला ने माना कि वो दोनों लीव इन में रह रहे थे। जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस टीएस कुरियन जोसेफ के पास आया। उन्होंने इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया।

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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछे अहम सवाल

बता दें कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कुछ सवाल खड़े करते पूछा कि क्या लंबे समय से साथ रह रहे लड़का-लड़की को पति-पत्नी माना जा सकता है? साथ ही कोर्ट ने पूछा कि बिना किसी रीति रिवाज या कानूनी प्रावधान से की गई शादी में महिला को धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता है? बता दें कि कोर्ट ने कहा कि महिला को आर्थिक तंगी में रखना भी घरेलू हिंसा के अंतर्गत आएगा और इसके लिए घरेलु हिंसा कानून 2005 में महिलाओं की सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए गए हैं।

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