आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अभी तक चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को अपने हलफनामे में सिर्फ अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा देना होता था। लेकिन अब अपनी पत्नी और आश्रितों की आय और संपत्ति के स्त्रोत की भी जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है। ये फैसला जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस एसए अब्दुल नजीर की बेंच ने उत्तर प्रदेश के एक एनजीओ लोक प्रहरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया है।
लोक प्रहरी एनजीओ ने सांसदों और विधायकों को आय से ज्यादा सम्पत्ति हासिल करने से रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की थी। एनजीओ चाहता था कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार के नॉमिनेशन फॉर्म में इनकम सोर्स का कॉलम भी जोड़ा जाए। साथ ही वे अपनी पत्नी और आश्रितों की आय का स्रोत और संपत्ति का ब्योरा भी पेश करें।
आज फैसले से पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई तो 12 सितंबर को ही कर ली थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सेंटर बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) से हलफनामे के जरिए एक जवाब देने को कहा था। इसमें कोर्ट ने पूछा था कि उन विधायकों और सांसदों पर क्या कार्रवाई की गई, जिनकी एसेट्स दो चुनावों के बीच अचानक 500 फीसदी तक बढ़ गई। इस पर सीबीडीटी ने कोर्ट को बताया कि ऐसे लोगों के खिलाफ जांच जारी है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब हर तरह के चुनाव में उम्मीदवार को चुनाव से लड़ने से पहले अपने साथ-साथ पत्नी और आश्रितों की आय और संपत्ति की पूरी जानकारी देनी होगी। सितंबर में हुई सुनवाई के दौरान सीबीडीटी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामा में कहा था कि लोकसभा के 26 और राज्यसभा के 11 सांसदों और 257 विधायकों ने आय से अधिक संपत्ति बनाई है। सीबीडीटी ने बताया कि इस मामले की जांच इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने की है और शुरुआती तौर पर लोकसभा के 26 में 7 सांसदों के बेहिसाब संपत्ति बनाने का पता चला है। CBDT ने कहा था कि वो इन 7 सांसदों के खिलाफ जांच करेगा।