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क्या है स्वाधार गृह योजना
केन्द्र सरकार की इस स्कीम के तहत महिलाओं के लिए निवास स्थान बनाए जाते हैं जहां वे 3 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक की अवधि के लिए रह सकती हैं। यहां उनके रहने, खाने-पीने, चिकित्सा सुविधा, काउंसलिंग, वोकेशनल ट्रेनिंग आदि की व्यवस्था की जाती है। इनके जरिए वंचित वर्ग से आने वाली इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाता है। ये स्वाधार गृह एनजीओ अथवा विभिन्न प्रकार की समाजसेवी संस्थाओं द्वारा चलाए जाते हैं। इनके लिए केन्द्र सरकार उन संस्थाओं को फंड देती है जिससे महिलाओं के कल्याण हेतु आवश्यक कार्य किए जाते हैं।
ये महिलाएं कर सकती हैं आवेदन
केन्द्र सरकार की सभी योजना समाज के कुछ विशेष वंचित वर्गों के लिए बनाई गई हैं। इसी प्रकार वे सभी महिलाएं इस योजना के लिए आवेदन कर सकती हैं जो निम्न में से किसी भी एक योग्यता को पूरी करती हों.
1. ऐसी महिलाएं जो बेसहारा हैं तथा आर्थिक व सामाजिक रूप से अत्यन्त गरीब श्रेणी की है।
2. घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं जिन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा अथवा जो अपनी आजीविका अर्जित करने में अक्षम हैं।
3. मानव तस्करों का शिकार बनी महिलाएं जिन्हें वेश्यावृत्ति अथवा अन्य चीजों का सामना करना पड़ा।
4. एड्स से ग्रसित ऐसी महिलाएं जिनके पास आय का कोई साधन नहीं है।
5. जेल में कारावास की सजा काट रही वे महिलाएं जिनके परिजनों ने उनका त्याग कर दिया है।
6. प्राकृतिक आपदाओं के कारण आए संकटों का शिकार बनी महिलाएं
उपरोक्त में से कोई भी एक योग्यता पूरी करने के अलावा उन महिलाओं का भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही उज्जवला स्कीम में भी नामांकन होना चाहिए, तभी वे इस योजना के लिए अप्लाई कर सकेंगी।
3 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक के लिए रह सकती हैं महिलाएं
इस योजना के तहत लाभान्वित महिलाओं को एक स्थाई निवास सुविधा प्रदान की जाती है। जहां रहकर वे अपने पैरों पर खड़े हो सकती हैं तथा आय के साधन बना सकती है। 18 वर्ष से 55 वर्ष तक की उम्र वाली महिलाएं अधिकतम 3 वर्ष तथा 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं अधिकतम 5 वर्ष के लिए इनमें निवास कर सकती हैं। लाभान्वित महिलाएं अपनी 18 वर्ष तक की बेटियां तथा 8 वर्ष तक के बेटे को साथ रख सकती है। 8 वर्ष से अधिक उम्र के लड़कों को चिल्ड्रन होम्स में रहना होता है।
साथ में मिलती हैं ये सुविधाएं
1. यहां आने वाली महिलाओं को जहां एक तरफ रहने के लिए छत मिलती है वहीं उन्हें कानूनी सलाह तथा मदद भी दी जाती है। किसी भी तरह की अदालती कार्यवाही के लिए सरकार उन्हें वकील तथा अन्य सहायता उपलब्ध कराती है।
2. महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग भी दी जाती है। यही नहीं उन्हें वोकेशनल ट्रेनिंग लेने के लिए 1800 रुपए प्रति माह तक का भी खर्चा मिलता है। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाता है और यथासंभव उन्हें कार्य भी दिलाया जाता है।
3. लाभान्वित महिलाओं को मेडिकल सुविधा भी दी जाती है। उनका नियमित रूप से चैकअप होता रहता है तथा आवश्यक दवाईयां उपलब्ध करवाई जाती है। एड्स अथवा अन्य गंभीर रोगों से ग्रस्त महिलाओं के लिए दवा की पूर्ण व्यवस्था की जाती है।
4. काउंसलिंग की जाती है। स्वाधार गृह में रहने वाली महिलाओं को टेलीफोन द्वारा तथा व्यक्तिगत रूप से काउंसलिंग की सुविधा मिलती है। इसके जरिए वे अपने मानसिक, भावनात्मक व अन्य प्रकार की समस्याओं को सुलझा सकती हैं।
अधिक जानकारी के लिए आप भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन्स https://wcd.nic.in/sites/default/files/Revised%20Guidelines%20Swadhar%20Greh%2C2015%20%28%20English%29.pdf पर जाकर पढ़ सकते हैं।