शीर्ष अदालत ने इस मामले में सख्त तेवर अपनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के बयानों की कॉपी आरोपी चिन्मयानंद को देने के आदेश को भी रद्द कर दिया। इससे साफ है कि स्वामी चिन्मयानंद को रेप के मामले में राहत मिलने की उम्मीद न के बराबर है।
ये है मामला आपको बता दें कि 24 अगस्त, 2019 को स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की छात्रा ने एक वीडियो वायरल कर स्वामी चिन्मयानंद पर सनसनीखेज आरोप लगाए थे। रेप का वीडियो वायरल होने के बाद पीड़िता लापता हो गई थी। तब पीड़िता के पिता ने शाहजहांपुर स्थित कोतवाली में स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध मामला दर्ज कराया था।
वकील सतीश मानशिंदे का बड़ा खुलासा – एक माह तक Rhea ने किया युद्ध जैसी स्थिति का सामना 5 करोड़ रंगदारी मांगने का केस इससे पहले पूर्व स्वामी चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह ने एक अज्ञात मोबाइल नंबर पर 5 करोड़ रुपए रंगदारी मांगने का मामला दर्ज करा दिया था।
SC ने लिया संज्ञान स्थानीय पुलिस ने इस मामले में काफी समय बाद रेप पीड़िता को राजस्थान के दौसा से बरामद कर लिया। पुलिस द्वारा पीड़िता को बरामद करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए पीड़िता को न्यायालय में पेश करने का आदेश दिया था।
एसआईटी गठित उत्तर प्रदेश सरकार को इस पूरे मामले के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करके उसे जांच कराने का निर्देश दिया था। एसआईटी ने तकरीबन 3 माह से चल रही इस जांच में स्वामी चिन्मयानंद के अलावा रंगदारी मांगने के आरोप में पीड़िता समेत संजय, विक्रम और सचिन को जेल भेज दिया। जबकि बीजेपी के 2 नेताओं को भी रंगदारी मांगने के आरोप में आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया था।
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की आरोपी Manju Verma पर सीएम नीतीश मेहरबान, चेरिया बरियारपुर से दिया टिकट बता दें सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 7 नवंबर, 2019 के आदेश के खिलाफ यह फैसला सुनाया है। इस मामले में शाहजहांपुर कानून की छात्रा की अपील पर फैसला अदालत ने यह आदेश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि चिन्मयानंद सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज पीड़िता के बयान की प्रमाणित प्रति पाने के हकदार हैं।