नई दिल्ली। बीजेपी ने वर्ष 2014 जब देश की सत्ता संभाली तो इस वादे के साथ कि देश का काला धन स्वदेश लाया जाएगा। जनता ने पीएम मोदी के इस वादे को देखते हुए बीजेपी को जमकर वोट भी दिए। भ्रष्टाचार और कालेधन पर काफी लंबे समय से नकेल कंसने की तैयारी कर रही मोदी सरकार जल्द ही विदेशी बैंकों में जमा भरतीयों के नामों का पता लगा पाएगी।
दरअसल स्विस बैंकों में किस भारतीय का कितना काला धन जमा है और स्विस बैंकों में कितने भारतीयों के खाते हैं, इसकी जानकारी एक सितंबर यानी आज भारत सरकार के पास होगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि दोनों देशों के बीच समझौते सरकार के कालेधन के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है और स्विस बैंक के गोपनीयता नियमों के युग का अंत होने जा रहा है।
सीबीडीटी ने बयान के मुताबिक, भारत को स्विट्जरलैंड में भारतीय नागरिकों के 2018 में बंद किए खातों की भी जानकारी मिल जाएगी। सीबीडीटी का कहना है कि सूचना आदान-प्रदान की यह व्यवस्था शुरू होने के ठीक पहले भारत आए स्विट्जरलैंड के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजस्व सचिव एबी पांडेय, बोर्ड के चेयरमैन पीसी मोदी और बोर्ड के सदस्य (विधायी) अखिलेश रंजन के साथ बैठक की थी।
अगस्त की 29-30 तारीख के बीच आए इस प्रतिनिधिमंडल की अगुआई स्विट्जरलैंड के अंतरराष्ट्रीय वित्त मामलों के राज्य सचिवालय में कर विभाग में उप प्रमुख निकोलस मारियो ने की थी। साझा रिपोर्टिग मानक के प्रावधानों के तहत वित्तीय खातों के संबंध में सूचना का आदान-प्रदान सितंबर से शुरू हो जाएगा। इसी साल जून में स्विस सरकार ने विदेशों बैंकों में कालाधन रखने वाले ५० भारतीय कारोबारियों के नाम उजागर किए थे।
34 लाख 30 हजार करोड़ का काला धन मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले संसद सत्र में एक रिपोर्ट पेश की गई थी। लोकसभा में जून महीने में वित्त पर स्टैंडिंग कमिटी की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1980 से साल 2010 के बीच 30 साल के दौरान भारतीयों के जरिए लगभग 246.48 अरब डॉलर यानी 17,25,300 करोड़ रुपये से लेकर 490 अरब डॉलर यानी 34,30,000 करोड़ रुपये के बीच काला धन देश के बाहर भेजा।