मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ICJS का लक्ष्य
CCTNS प्रोजेक्ट को ई-अदालतों, ई-जेलों, डाटाबेसों, फोरेंसिक, अभियोजन, बाल सुधार गृहों और अपराधियों के राष्ट्रव्यापी फिंगरप्रिंटों के डाटाबेस से जोड़ना है। यह आपस में तब जुड़ सकते हैं जब न्यायपालिका, पुलिस और जेलों को एक डेस्कटॉप डैशबोर्ड से एक्सेस दे दिया जाए ताकि जांच और कार्रवाई में तेजी आ सके। इस सिस्टम का ईरादा वक्त और कर्मचारियों की बचत करना है, जिनका इस्तेमाल पुलिस स्टेशनों से अदालतों तक फाइलें पहुंचाने में किया जाता है।
गृह मंत्रालय ने तेलंगाना को इस परियोजना को लागू करने के लिए चुना था। वारंगल पुलिस कमिश्नर के अंतर्गत आने वाला सूबेदारी पुलिस स्टेशन देश का पहला ऐसा थाना बन गया है जो न्यायपालिका को जरूरत पड़ने पर तुरंत ही डिजिटल डाटा उपलब्ध करा देता है।
शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के जज, ICJS के चेयरमैन और इन-स्टेट ई-कमेटी के जज मदन बी लोकुर ने इस सिस्टम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये लॉन्च किया। इस सिस्टम के आने से अब एफआईआर, चार्ज शीट्स, सीसी नंबर, वारंट, समन जैसे दस्तावेज हर वक्त अदालत के सामने एक क्लिक में मौजूद रहेंगे।
सूबेदारी पुलिस थाने ने एफआईआर और चार्ज शीट्स अदालत को रीयल टाइम ही भेज दीं और उन्हें तुरंत ही इसके मिलने की सूचना और रिफरेंस नंबर ऑनलाइन दे दिया गया। इस सिस्टम के लिए ई-जेल, डाटाबेस, फोरेंसिक, इंटिग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज (ICDS) और अपराधियों के फिंगरप्रिंट डाटाबेस भी जल्द ही लॉन्च कर दिए जाएंगे।
इस संबंध में पुलिस कमिश्नर वी रविंदर ने कहा, “ICJS पूरे देश में जांच अधिकारियों को पूरा राष्ट्रीय अपराध और अपराधी डाटाबेस मुहैया कराने के साथ ही इसमें देशभर की खोजबीन कपने की सुविधा देता है। इस सिस्टम में क्षेत्रीय भाषा में भी खोजने की सुविधा दी गई है ताकि अंतरराज्यीय आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।”