दरअसल यह मामला राजनीति से प्रेरित लगती है क्योंकि सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने इसे मनाने का फैसला किया है। वहीं पिछले दो सालों में बड़े पैमाने पर विरोध और हिंसा के बावजूद टीपू जयंती मनाने की तैयारी कर ली गई है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि साल 2015 में टीपू जयंती समारोह के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। जब टीपू सुल्तान की जयंती का पहली बार राज्य सरकार द्वारा आयोजित की गई थी।
वहीं इस आयोजन को लेकर कांग्रेस सरकार ने इस आयोजन के अतिथि लिस्ट से केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े समेत सभी भाजपा नेताओं का नाम हटा चुकी है। इसलिए भाजपा और कांग्रेस के बीच तनाव बढ़ गया है। वहीं आज 10 नवंबर को कोडागु बंद का भी ऐलान किया गया है। साथ ही मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने 10 नवंबर को टीपू सुल्तान जयंती समारोह मनाए जाने से रोक लगाने पर इनकार कर दिया था। वहीं बेंलगुरु के पुलिस कमिशनर टी सुनील कुमार ने गुरुवार को कहा कि तकरीबन 11000 पुलिसकर्मी शहर की सुरक्षा में तैनात हैं। अगर कोई अशांति फैलाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि टीपू सुल्तान मैसूर के पूर्व साम्राज्य का शासक था। उन्हें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का दुश्मन कहा जाता था। ऐसा कहा जाता है कि ब्रिटिश सेना के खिलाफ श्रीरंगपट्टण के अपने किले का बचाव करते हुए। टीपू सुल्तान को मई 1799 में मार डाला गया था।