क्रिकेट के मैदान में कभी सचिन तेंदुलकर जितने भरोसेमंद नजर आते थे, वही भरोसा फुटबॉल के मैदान में माराडोना को देखकर होता था और लोग पलकें झपकाना भूल जाते थे। अर्जेंटीना के मीडिया की खबर के मुताबिक माराडोना को घर पर ही दिल का दौरा पड़ा। दो हफ्ते पहले ब्रेन में लॉट के कारण उनकी सर्जरी हुई थी।
माराडोना का कॅरियर इतना शानदार रहा कि दुनिया का हर फुटबॉल खिलाड़ी उनकी तरह बनना चाहता था।
फुटबॉल के जादूगर गौतम सरकार के मुताबिक, अर्जेटीना के दिग्गज फुटबाल खिलाड़ी डिएगो माराडोना फुटबॉल के ईश्वर पुत्र थे। वे एक अद्भुत खिलाड़ी ही नहीं एक महान व्यक्ति भी थे। एक समय फुटबॉल का उनका जादू इस तरह बंगाल के लोगों पर छा गया था कि मैं उनका अंध भक्त हो गया था। 1986 में वर्ल्ड कप के फाइनल को देखने के लिए बड़ी संख्या में बंगाल से फुटबॉलप्रेमी मैिसको पहुंचे थे। तब हम भी इस भीड़ में शामिल थे। हम उस वक्त माराडोना के लेफ्ट लेग के कौशल को देखकर मुग्ध हो गए थे। वे अपने लिए नहीं बल्कि टीम के लिए खेलते थे।
सदियों में एक बार होता है जन्म इस तरह के महान खिलाड़ी का जन्म सदियों में एक बार होता है। फुटबॉल के इस ईश्वर पुत्र के चले जाने से करोड़ों फुटबॉल प्रेमी दुखी हैं। हम अपने गम को अपनी भाषा से जाहिर नहीं कर सकते हैं। माराडोना भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका कीर्तित्व अमर है और जब तक फुटबॉल रहेगा, तब तक अमर रहेगा।
विवादों में भी रहे माराडोना ड्रग्स व शराब की लत को लेकर विवादों में रहे। नशे की लत से उनकी बेटियां भी परेशान थीं। कुछ महीने पहले उनकी बेटियां उन्हें कोर्ट में घसीटने की तैयारी कर रही थीं। बेटियों का कहना था कि पिता के नशे की लत कारण उन्हें कई बार शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।
कास्त्रो से थी दोस्ती नशे की लत के कारण मुश्किल समय में यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो ने मारोडोना की काफी मदद की। दोनों की दोस्ती दुनियाभर में मशहूर थी।