पुलिस ने रैकेटियर की सूचना पर मृत पशुओं का 2,000 किलो मांस कब्जे में लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है। मांस के सैंपल्स को जांच के लिए लैबोरेटरी भेज दिया गया है। आपको बता दें कि रैकेटियर गिरफ्तारी के समय निगम के डंपयार्ड से मृत पशुओं को लेकर कोलकाता से 30 किलोमीटर दूर बडगे एरिया से गुजर रहा था।
गिरफ्तार रैकेटियर से पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस काम में कोलकाता नगर निगम के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं। निगमकर्मी मृत पशुओं को डंपयार्ड में डालने की सूचना रैकेटियर को देते रहे हैं। इसके बदले उन्हें प्रति पुश 50 से 100 रुपए बतौर टिप दिया जाता था। होटल और रेस्टोरैंटों में 250 से 280 प्रति किलो के हिसाब से आपूर्ति किया जाता रहा है।
मृत पशुओं के मास को संरक्षित रखने के लिए जानलेवा रासायन फॉरमलीन और एल्युमिनियम सल्फेट जैसे हानिकारक रासायन का प्रयोग किया जाता है। रैकेटियर इसका भंडारण कोल्ड स्टोरेज में करते हैं ताकि मांस खराब न हो। वहीं डिमांड के अनुरूप उसकी आपूति होटल, रेस्टोरैंट और स्थानीय बाजार में होता रहा है।
आपको बता दें कि कोलकाता में 80 फीसद से ज्यादा लोग मांसाहारी हैं। इस मामले में कोलकाता पुलिस पूर्व काउंसलर माणिक मुखोपाध्याय सहित दस लोगों की गिरफ्तारी कुछ दिनों पहले की थी। इसके मास्टरमाइंड सनी मलिक को 25 अप्रैल को बिहार के नवादा से गिरफ्तार किया था। दूसरी तरफ इस बात का खुलासा होने के बाद से कोलकाता में मांस की बिक्री में 60 फीसद की गिरावट दर्ज हुई है। मीट ट्रेडर्स एसोसिएशन ने गंभीर चिंता जताई है। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को नोटिस जारी किए हैं ताकि वो यह सुनिश्चित कर सकें कि लोगों को बाजार में गुणवत्तायुक्त मांस मिले।