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कलबुर्गी की हत्या से डरे उदय प्रकाश अपना साहित्य पुरस्कार लौटाएंगे

कर्नाटक के धारवाड़
जिले में एमएम कलबुर्गी को कुछ लोगों ने में उनके घर में घुसकर गोली मार दी थी,
जिसके बाद सकते में आए उदय प्रकाश ने यह फैसला लिया

Sep 04, 2015 / 03:29 pm

Rakesh Mishra

UDAY PRAKASH

UDAY PRAKASH

भोपाल। 30 अगस्त को हुई कन्नड़ स्कॉलर एमएम कलबुर्गी हत्या के विरोध में मशहूर कवि, कथाकार और फिल्मकार उदय प्रकाश ने अपनी कृति ‘मोहन दास‘ के लिए मिले साहित्य अकादमी पुरस्कार 2010-11 को लौटाने का फैसला लिया है। कर्नाटक के धारवाड़ जिले में एमएम कलबुर्गी को कुछ लोगों ने में उनके घर में घुसकर गोली मार दी थी, जिसके बाद सकते में आए उदय प्रकाश ने यह फैसला लिया है।




उदय का कहना है कि “हमारी कोई विचारधारा नहीं होती है। जिस तरह से लेखकों पर हमले हो रहे हैं, उसने मुझे बहुत डरा दिया है। मुझे खतरा महसूस हो रहा है। चूंकि हम लोकतंत्र में हैं, इसलिए इस तरह के हमले बिल्कुल नहीं होने चाहिए। या तो यह कह दिया जाए कि भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया, चाहे मौजूदा सरकार पूर्ण बहुमत से बनी हो।”




कौन हैं उदय प्रकाश?
उदय एक मशहूर कवि, कथाकार और फिल्मकार हैं। उनकी कृतियाँ लगभग समस्त भारतीय भाषाओं में रचनाएं अनूदित हैं। इनकी कई कहानियों के नाट्य रूपांतर और सफल मंचन हुए हैं। उदय ‘उपरांत’ और ‘मोहन दास’ नाम से दो फीचर फिल्में बना चुके हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले हैं। उदय स्वयं भी कई टी.वी.धारावाहिकों के निर्देशक-पटकथाकार रहे हैं।


उदय ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि “पिछले कुछ समय से हमारे देश में लेखकों, कलाकारों, चिंतकों और बौद्धिकों के प्रति जिस तरह का हिंसक, अपमानजनक और अवमाननापूर्ण व्यवहार लगातार हो रहा है, जिसकी ताज़ा कड़ी प्रख्यात लेखक, विचारक और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ साहित्यकार श्री कलबुर्गी की मतांध हिंदुत्ववादी अपराधियों द्वारा की गई कायराना और दहशतनाक हत्या है, उसने मेरे जैसे अकेले लेखक को भीतर से हिला दिया है। अब यह चुप रहने का और मुंह सिल कर सुरक्षित कहीं छुप जाने का पल नहीं है। वर्ना ये ख़तरे बढ़ते जाएंगे।



मैं साहित्यकार कुलबर्गी जी की हत्या के विरोध में ‘मोहन दास’ नामक कृति पर 2010-11 में प्रदान किये गए साहित्य अकादमी पुरस्कार को विनम्रता, लेकिन सुचिंतित दृढ़ता के साथ लौटाता हूं।’ अभी गांव में हूं। 7-8 सितंबर तक दिल्ली पहुंचते ही इस संदर्भ में औपचारिक पत्र और राशि भेज दूंगा। मैं उस निर्णायक मंडल के सदस्य, जिनके कारण ‘मोहन दास’ को यह पुरस्कार मिला, अशोक वाजपेयी और चित्रा मुद्गल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, यह पुरस्कार वापस करता हूं। आप सभी दोस्तों से अपेक्षा है कि आप मेरे इस निर्णय में मेरे साथ बने रहेंगे, पहले की ही तरह।”

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