कृषि कानूनों को रद्द करना होगा संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 17 जुलाई से सभी विपक्षी दलों को एक चेतावनी या चुनौती पत्र भी भेजा जाएगा। विपक्षी दलों को किसान आंदोलन की सफलता के लिए साथ देने और किसानों के पक्ष में आवाज बुलंद करने की चुनौती दी जाएगी। एसकेएम के नेताओं ने कहा कि हमने केंद्र सरकार को पहले ही बता रखा है कि किसान नए कानून निरस्त करने से कम पर नहीं मानेंगे। पंजाब के कृषि संगठनों की ओर से यह भी घोषणा की गई कि राज्य में बिजली की आपूर्ति की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है इसलिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के’मोती महल के घेराव के पूर्व घोषित कार्यक्रम को स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।
एसकेएम की ओर से कहा गया है कि कृषि कानूनों का उद्देश्य गलत है। यह कॉरपोरेट जगत के हित में है। केंद्र सरकार ने उन क्षेत्रों में कदम रखा है जहां उसके पास कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। देश के किसानों पर कानून थोपने के लिए केंद्र का यह तरीका अलोकतांत्रिक तरीका हमें स्वीकार्य नहीं है। इसके अलावा एसकेएम ने यूपी के पीलीभीत से एक बड़ी ट्रैक्टर रैली और मिल्खा सिंह की स्मृति में गाजीपुर बॉर्डर पर किसान मजदूर मैराथन भी आयोजित किया जाएगा।
केंद्र केवल संशोधन के लिए तैयार बता दें कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 के महीने में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों के साथ 11 दौर की औपचारिक वार्ता का हिस्सा थे। मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल कहते रहे हैं कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है बशर्ते कि किसान उन प्रावधानों पर चर्चा करने के लिए तैयार है जिनसे उन्हें समस्या है। सरकार केंद्रीय कानूनों को निरस्त नहीं करेगी। केंद्र सरकार कृषि कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है।