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UPTET 2017: सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मिली असफल उम्मीदवारों को राहत

UPTET 2017 में व्याप्त खामियों के मद्देनजर असफल उम्मीदवारों को सर्वोच्च न्यायालय ने राहत दी है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया।

नई दिल्लीOct 26, 2018 / 03:55 pm

अमित कुमार बाजपेयी

Sabarimala Temple

Suprem Court

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET 2017) में व्याप्त खामियों के मद्देनजर असफल उम्मीदवारों को सर्वोच्च न्यायालय ने राहत दी है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा है कि वो असफल उम्मीदवारों के मामले में दोबारा विचार करे। इस सुप्रीम आदेश के बाद उत्तर प्रदेश के 41 हजार शिक्षकों की नियुक्तियों में फेरबदल हो सकता है।
हाईकोर्ट ने दिया था अंक घटाने का आदेश

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में 41 हजार शिक्षकों के रिक्त पद भरने के लिए UPTET 2017 परीक्षा आयोजित की गई थी। लेकिन इस परीक्षा में दिए गए प्रश्न पत्र में कुछ प्रश्न गलत थे। परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया था कि गलत प्रश्नों के चलते उनकी मेरिट नहीं आ सकी। यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा, तो अदालत की सिंगल बेंच ने परीक्षा में गलत प्रश्नों के लिए राज्य सरकार से 14 अंक घटाने के लिए कहा। इसके खिलाफ राज्य सरकार हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में चली गई और यहां से सिंगल बेंच का आदेश रद्द कर दिया गया।
सिंगल बेंच ने आदेश दिया था कि सरकार 14 गलत प्रश्नों के अंकों को हटाकर दोबारा UPTET 2017 परीक्षा का परिणाम घोषित करे। सरकार को यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक माह का वक्त दिया गया था। इसके बाद ही सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए कहा गया। अदालत ने इस संबंध में कहा कि 15 अक्टूबर 2017 को आयोजित UPTET 2017 में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के नियमों का पालन नहीं किया गया। अदालत ने पाया कि इस परीक्षा में आठ गलत प्रश्न आए थे। संस्कृत भाषा के दो प्रश्नों के विकल्प गलत दिए गए थे जबकि चार प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर थे। वहीं, लैंग्वेज के पेपर में उचित नंबर के सवाल नहीं थे।
परीक्षा में थीं कई खामियां

यह आदेश UPTET 2017 को चुनौती देने वाली 300 से ज्यादा याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए दिया गया। इन याचिकाओं में दलील दी गई थी कि परीक्षा एनसीटीई के दिशा-निर्देशों के मुताबिक नहीं आयोजित की गई। परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण के सचिव द्वारा दिसंबर 2014 को जारी शासनादेश के तहत निर्धारित पाठ्यक्रम से बाहर के सवाल पूछे गए। कुछ सवाल गलत थे जबकि कई में गलत विकल्प गड़बड़ थे। ऐसी ही तमाम खामियों के चलते याचिकाकर्ताओं ने UPTET 2017 परीक्षा रद्द करने की मांग की थी।

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