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Lockdown का असर : खेतों में बर्बाद हो रहीं सब्जियां और फल, फेंकने को मजबूर हैं किसान

Highlights
-कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है
भारत में अब तक 77 लोगों की कोरोना वायरस के चलते मौत हो चुकी है
-कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री ने 21 दिनों तक देश को लॉकडाउन करने का आदेश दिया है
 

Apr 05, 2020 / 06:08 pm

Ruchi Sharma

Lockdown का असर : खेतों में बर्बाद हो रहीं सब्जियां और फल, फेंकने को मजबूर हैं किसान

Lockdown का असर : खेतों में बर्बाद हो रहीं सब्जियां और फल, फेंकने को मजबूर हैं किसान

नई दिल्ली. कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। भारत में अब तक 77 लोगों की कोरोना वायरस के चलते मौत हो चुकी है। कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री ने 21 दिनों तक देश को लॉकडाउन करने का आदेश दिया है। आज रविवार लॉकडाउन का 11वां दिन है। वहीं लॉकडाउन की वजह से नेपाल की सड़कों पर दूध की नदियां बह रही हैं, वहीं लॉकडाउन की वजह से किसानों की सब्जियां और फल खेतों में सड़ रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लॉकडाउन (LOCKDOWN) के होते ही कई जगह मंडी संचालन लगभग बंद हो गया है, खेतों और बागों तक लोगों का पहुंचना मुश्किल हो रहा है, नतीजतन सप्लाई चेन भी व्यवस्थित नहीं रह गई है। कपिलवस्तु की सड़कों पर दूध बहाए जा रहे हैं तो नवलपरासी और रुपनदेही में लोगों को मुफ्त में ही दूध बांटा जा रहा है।
बाजार बंद होने की वजह से दूध की मांग नहीं

नेपाल डेयरी एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अरानिको राजभंडारी के मुताबिक अबतक करीब 50 हजार लीटर दूध सड़कों पर बहाया जा चुका है। दूध की खपत पिछले कुछ समय में तेजी से कम हुई है और सरकार की ओर से ट्रांसपोर्ट मुहैय्या कराए जाने के बाद भी होटल और बाजार बंद होने की वजह से दूध की मांग कहीं से भी नहीं आ रही है। दूध की सबसे ज्यादा खपत होटल, रेस्तरां, चाय और कॉफी की दुकानों के अलावा मिठाई की दुकानों में सबसे ज्यादा होती है, लेकिन ये सारी दुकानें बंद हैं। यहां तक कि पाउडर दूध बनाने वाली कंपनियां भी दूध नहीं ले रही हैं और उनका कहना है कि जबतक उनका पुराना स्टॉक खत्म नहीं हो जाता वो तबतक दूध नहीं ले सकतीं।
हिंदी वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार नेपाल का सबसे बड़ा पाउडर मिल्क बनाने वाला प्लांट चितवन में है, जहां रोजाना एक लाख लीटर दूध का पाउडर बनता है, जबकि बिराटनगर और पोखरा के प्लांट में 40 से 50 हजार लीटर दूध की खपत रोजाना होती है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से ये सभी प्लांट बंद हैं।
फेंकने को मजबूर लोग

एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक सब्ज़ी और फल उगाने वाले किसान भी अपनी खराब हो रही फसलों को नष्ट करने को मजबूर हैं। छिटपुट बाजार ही खुले हैं, इसलिए मांग बेहद कम हो गई है। नेपाल फारमर्स ग्रुप फेडरेशन के अध्यक्ष नवराज बासनेट बताते हैं कि किसानों के पास अपनी सब्जी और फल फेंकने के सिवा और कोई विकल्प नहीं है।

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