विविध भारत

Coronavirus: टोटल लॉकडाउन के बीच देशभर में क्या है क्राइम के आंकड़े

चोरी-लूट-हत्या-डकैती-बलात्कार जैसे मामलों में भारी गिरावट।
घरों से ना निकलना और पुलिस गश्त भी बनीं बड़ी वजह।
अपराधियों के भीतर भी कहीं न कहीं है कोरोना का खौफ।

नई दिल्लीMar 28, 2020 / 12:31 am

अमित कुमार बाजपेयी

अपराध

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के बढ़ते ग्राफ के बीच देशवासियों के लिए एक अच्छी खबर है। जहां कोरोना को कंट्रोल करने के लिए देश में पीएम मोदी ने टोटल लॉकडाउन की घोषणा कर दी, वहीं कोरोना के खौफ से देश में अपराध की दर में काफी कमी आ गई। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत तमाम प्रदेशों में पिछले कुछ दिनों में क्राइम रेट कम हो गया है। संबंधित राज्यों की पुलिस भी इस बात की ताकीद करती है।
दिल्ली-एनसीआर का हाल

पिछले 10 दिनों के भीतर दिल्ली-एनसीआर में अलग-अलग श्रेणी के अपराधों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट 70 से 80 फ़ीसदी दर्ज की गई है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक जो मामले दर्ज भी हुए हैं वह ज्यादातर वाहनों से संबंधित हैं। यह वाहनों को जब्त करने, लॉकडाउन का पालन नहीं करने वालों के विरुद्ध निरोधात्मक कार्रवाई और धारा 144 के उल्लंघन को लेकर हैं।
दिल्ली पुलिस के पीआरओ अनिल मित्तल के मुताबिक हीनियस क्राइम के मामले इस बीच में नहीं दर्ज किए गए हैं। हत्या-लूट-बलात्कार ना के बराबर हुए हैं। उन्होंने आगे कहा, ज्यादातर निरोधात्मक कार्रवाई लॉकडाउन या सरकारी कामकाज में बाधा को लेकर की गई है।
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दिल्ली पुलिस के पीआरओ अनिल मित्तल से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने पत्रिका को बताया कि देखिए दिल्ली पुलिस लगातार कोरोना संक्रमण के चलते लाउडस्पीकर के द्वारा लोगों को जागरूक कर रही है। समाज के लोगों को प्रेरित किया जा रहा है कि वह गरीबों को भोजन इत्यादि की व्यवस्था कराएं। तो एक तरह से सकारात्मक कार्यों में उन्हें लगाया गया है जिसका नतीजा है कि अपराध और अपराधिक घटनाओं में कमी आई है।
उत्तर प्रदेश में 99 फीसदी तक घटे अपराध

उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। जहां एक ओर लोगों को इस कारण कुछ परेशानियों से रूबरू होना पड़ रहा है, तो वहीं अच्छी खबर यह भी कि प्रदेश में लूट, बलात्कार, हत्या और डकैती जैसी आपराधिक वारदातों में लगभग 99 फीसदी कमी आ गई है। घरों से बाहर न निकलना इसका बड़ा कारण बताया जा रहा है। इससे पूर्व यूपी में औसतन महिलाओं के खिलाफ प्रतिदिन 162 मामले दर्ज होते थे।
यूपी के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह द्वारा जारी की गई 2019 के पहले छह माह की रिपोर्ट की ओर ध्यान दें तो यूपी में 19,761 कुल आपराधिक मामले सामने आए। इनमें 1088 दहेज हत्या, 1224 रेप, 4883 शारीरिक शोषण, 5282 अपहरण, 293 छेड़छाड़ व 6991 घरेलू हिंसा के मामले शामिल हैं। लाकडॉउन के बाद से जो भी मुकदमे दर्ज हुए हैं, वह लॉकडाउन के उल्लंघन को लेकर ही हुए हैं। अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस ने कुल 3710 मुकदमे दर्ज कर 11,317 लोगों का चालान किया है।
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लॉकडाउन के ऐलान के बाद प्रदेश भर के क्राइम रेट में पूरी तरह से कमी आ गई है। हर तरफ पुलिस की चौकसी इसका बड़ा कारण है, जो किसी भी व्यक्ति को घर से बाहर देखने पर सख्ती से सवाल-जवाब के साथ उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई कर रही है। हालांकि कुछ आपराधिक घटनाएं जरूर प्रकाश में आई है, लेकिन पूर्व के मुकाबले इनकी संख्या कुछ भी नहीं है।
गृह विभाग के प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया कि धारा 188 का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ प्रदेश भर में 3710 एफआईआर दर्ज की गई है। 11,317 लोगों का चालान किया है। कुल 5732 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी के मामले में शुक्रवार को 20 मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
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उन्होंने बताया कि इस दौरान कुल तीन लाख 81 हजार वाहनों का निरीक्षण करके उनमें से 93 हजार 214 का चालान किया गया है। यूपी में एक करोड़ 92 लाख रुपये जुर्माना भी वसूला गया है। वहीं, मनाही के बावजूद मस्जिदों के अंदर समूह में नमाज अता करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई हुई है।
मेरठ परिक्षेत्र के एडीजी प्रशांत कुमार और नोएडा के कमिश्नर आलोक सिंह के मुताबिक लोगों में भय व्याप्त है। कोरोना को लेकर लोग डरे हुए हैं। पुलिस प्रशासन ने जो घोषणाएं की हैं, लोगों को घर में रहने की सलाह दी है, उसको लोग मान रहे हैं। जो अपराधी किस्म के लोग हैं उनमें भी कोरोना को लेकर कहीं ना कहीं भारी डर है। यही नहीं लगातार 24 घंटे अलग-अलग शिफ्ट में बड़े पैमाने पर पुलिसिंग होना भी अपराधों के ग्राफ में कमी की वजह है।
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प्रशांत कुमार की मानें तो गाजियाबाद-हाथरस-हापुड़-मेरठ-बागपत-मुजफ्फरनगर-शामली-सहारनपुर जैसे जिलों में अलग-अलग तरह के अपराधों में ग्राफ ज्यादा होता है। कड़ाई के बावजूद रंजिशन या अन्य प्रसंगों में तमाम अपराध होते हैं लेकिन पिछले 20 दिनों में बड़े पैमाने पर पुलिसिंग और कोरोना को लेकर अलग-अलग माध्यमों से चर्चा, अपराध को कम करने में मदद कर रहा है।
महाराष्ट्र में लॉकडाउन से गंभीर अपराध बंद

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महाराष्ट्र में गंभीर किस्म के अपराध बंद होने की जानकारी पुलिस स्टेशनों में दर्ज होने वाले मामलों से हुई है। दरअसल पिछले पांच दिनों में लूट, चोरी, दुष्कर्म के साथ मारपीट की बड़ी घटनाओं में कमी आई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कोरोना का असर सभी जगहों पर है। यही वजह है कि अपराधी भी अपराध करने से बच रहे हैं।
कोरोना वायरस के फैलने की आशंका को लेकर शहर भर में अलर्ट है। जगह जगह पर नाकाबंदी की जा रही है। बाहर से आने वाले एक-एक व्यक्ति की स्क्रीनिंग की जा रही है। कोरोना के कारण अपराध में कमी आई है। पहले जहां रोज चोरी, मारपीट, दुष्कर्म की वारदात आम थी, वहीं अब ऐसी वारदात नहीं हो रही हैं। छिटपुट वारदातों को छोड़ दिया जाए तो साफ है कि अपराधी भी कोरोना से डरे-सहमे हैं। शुक्रवार को पुलिस द्वारा जारी डीएसआर में जिले में एक भी मामला सामने नहीं आया है।
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता और पुलिस उपयुक्त प्रणय अशोक ने बताया कि गुरुवार को मुंबई में धारा 144 के उल्लंघन के आरोप में 50 मामले दर्ज किए गए और 88 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया जबकि 10 फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है।
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बीते एक सप्ताह में यानी शुक्रवार से गुरुवार तक मुंबई में धारा 188 के तहत दर्ज मामलों में 289 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया जबकि 25 को नोटिस देकर छोड़ दिया गया। 22 आरोपियों की पुलिस अभी तलाश कर रही है। गिरफ्तार आरोपियों में से 176 को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। सोमवार से शुरू हुई पुलिस की सख्ती लगातार बढ़ती जा रही है।
रविवार को सिर्फ 8 आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा था और सोमवार को 51 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, मंगलवार को 58 पकड़े गए जबकि बुधवार को 50 आरोपी सलाखों के पीछे पंहुचाए गए। गुरुवार को सबसे ज्यादा 88 आरोपी गिरफ्तार किए गए। गुरुवार को दर्ज 50 मामलों में सबसे ज्यादा 35 मामले ज्यादा भीड़भाड़ के आरोप में दर्ज किए गए जबकि अवैध यातायात के 11 मामलों में कार्रवाई हुई है।
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राजस्थान के 700 थानों में 26 मार्च को महज 146 एफआईआर हुई दर्ज, यह अब तक का सबसे कम आंकड़ा है।

एडीजी क्राइम बीएल सोनी ने पत्रिका को बताया कि अपराध का आंकडा घटकर 25 प्रतिशत रह गया है। अपराधों में 75 प्रतिशत कमी आई है। वहीं, सूत्रों की मानें तो 26 मार्च को पूरे प्रदेश में महज 146 एफआईआर दर्ज हुई हैं। राजस्थान में करीब 700 थाने हैं।
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यह अब तक का सबसे कम आंकड़ा बताया जा रहा है। इस बीच धारा 188 के 65 मामले, धारा 65 के अंतर्गत 3432 लोगों को धरा गया है जबकि धारा 66 के अंतर्गत 263 वाहनों को जब्त किया गया है।

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